Aditi Rawat
30 Oct 2025
Mithilesh Yadav
30 Oct 2025
नई दिल्ली। राष्ट्रीय एकता दिवस हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का मकसद लोगों में देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि भारत की असली ताकत उसकी एकता में है।
सरदार पटेल ने आज़ादी के बाद भारत की रियासतों को एकजुट कर एक देश बनाया, इसलिए उन्हें “भारत का लौह पुरुष” कहा जाता है।
राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत 2014 में भारत सरकार ने की थी।
इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है -
भारत की एकता, भाईचारे और राष्ट्रीय अखंडता को सशक्त बनाना। सरदार पटेल ने स्वतंत्र भारत की नींव को मजबूत करने में जो योगदान दिया, वह अतुलनीय है। उन्होंने स्वतंत्रता के बाद 562 से अधिक रियासतों को एकजुट कर एक अखंड भारत का निर्माण किया। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति, निर्णय क्षमता और नेतृत्व के कारण ही भारत आज एक सशक्त और संगठित राष्ट्र के रूप में स्थापित हुआ।
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नडियाद (गुजरात) में हुआ था। वे बचपन से ही अत्यंत दृढ़ निश्चयी और कर्मठ स्वभाव के थे। उन्होंने कानून की पढ़ाई इंग्लैंड से पूरी की और भारत लौटकर एक सफल वकील बने। किन्तु जब उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बनने का निर्णय लिया, तब से उनका जीवन पूरी तरह राष्ट्र सेवा को समर्पित हो गया।
वे किसानों के नेता के रूप में जाने गए और खेड़ा सत्याग्रह तथा बारडोली आंदोलन में उनकी भूमिका निर्णायक रही। बारडोली आंदोलन में मिली सफलता के बाद ही जनता ने उन्हें स्नेहपूर्वक “सरदार पटेल” की उपाधि दी।
स्वतंत्रता के बाद भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी, सैकड़ों रियासतों को एकजुट करना। सरदार पटेल ने अपनी राजनीतिक कुशलता, बुद्धिमत्ता और दृढ़ निश्चय से यह असंभव कार्य संभव किया। उन्होंने संवाद, कूटनीति और कभी-कभी कठोर निर्णयों के माध्यम से लगभग सभी रियासतों को भारत में सम्मिलित किया। उनकी इसी महान उपलब्धि के कारण उन्हें “भारत का लौह पुरुष” (Iron Man of India) कहा गया। उनके इस योगदान को सम्मानित करने के लिए गुजरात के केवड़िया में उनकी स्मृति में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का निर्माण किया गया, जिसकी ऊँचाई 182 मीटर है। यह विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है, जो सरदार पटेल की एकता और शक्ति का प्रतीक है।
राष्ट्रीय एकता दिवस केवल एक औपचारिक अवसर नहीं, बल्कि यह भारत की एकजुटता, विविधता और भाईचारे का उत्सव है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि भले ही भारत में भाषा, संस्कृति, परंपराएँ और जीवन शैली अलग-अलग हैं, लेकिन देश की आत्मा एक है।
"Unity in Diversity" - यही भारत की पहचान है। इस दिन नागरिक यह संकल्प लेते हैं कि वे हर परिस्थिति में राष्ट्र की अखंडता और एकता की रक्षा करेंगे।
हर वर्ष की तरह इस बार भी राष्ट्रीय एकता दिवस की एक विशेष थीम रखी गई है -
आज के समय में जब दुनिया विभिन्न मतभेदों, विचारधाराओं और विभाजनों से जूझ रही है, तब सरदार पटेल की सोच पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। उन्होंने सिखाया कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है और व्यक्तिगत या क्षेत्रीय स्वार्थों से ऊपर उठकर ही सच्ची राष्ट्रसेवा संभव है। उनका जीवन यह प्रेरणा देता है कि संगठन और एकता ही किसी राष्ट्र की सबसे बड़ी शक्ति होती है। उनके शब्दों में: “मेरे लिए सबसे बड़ा धर्म है राष्ट्र की सेवा करना।”
राष्ट्रीय एकता दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि यह एक विचार है -
“भारत एक है और हमेशा एक रहेगा।” सरदार पटेल की नीतियाँ और उनकी दूरदृष्टि आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।