Aniruddh Singh
4 Nov 2025
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एकतरफ़ा कदम उठाते हुए 4.9 अरब डॉलर की विदेशी सहायता रद्द कर दी है। यह रकम पहले से ही कांग्रेस द्वारा मंज़ूर की गई थी, लेकिन ट्रंप ने पॉकेट रिरेशन नामक रणनीति का इस्तेमाल कर इसे रोक दिया। इस फैसले के बाद यह विवाद और गहरा गया है कि देश के खर्चों पर अंतिम अधिकार आखिर किसका है-राष्ट्रपति का या फिर कांग्रेस का। अमेरिकी संविधान के अनुसार, धन आवंटन का अधिकार कांग्रेस के पास है।
अमेरिका में हर साल सरकार के संचालन के लिए आवश्यक फंडिंग कांग्रेस के माध्यम से पारित की जाती है। अगर व्हाइट हाउस किसी मंज़ूरशुदा राशि को खर्च नहीं करना चाहता, तो उसे कांग्रेस की मंजूरी लेनी होती है। हाल ही में जुलाई में कांग्रेस ने 9 अरब डॉलर की विदेशी सहायता और सार्वजनिक मीडिया फंडिंग रद्द करने का प्रस्ताव स्वीकार किया था। लेकिन इस बार डोनाल्ड ट्रंप ने कांग्रेस को दरकिनार करते हुए सीधे यह राशि रोकने का निर्णय ले लिया है।
ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि राष्ट्रपति 45 दिनों तक इस तरह की राशि रोक सकते हैं और अगर यह समय सीमा 30 सितंबर को वित्तीय वर्ष के अंत तक खिंच जाती है, तो यह रकम स्वतः खर्च नहीं होगी और इस तरह स्थाई रूप से रद्द मानी जाएगी। व्हाइट हाउस के अनुसार, इस रणनीति का आखिरी इस्तेमाल 1977 में किया गया था। रद्द की गई राशि विदेशी सहायता, संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों और दुनिया भर में लोकतंत्र को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों के लिए निर्धारित थी।
इनमें से ज्यादातर फंड अमेरिकी एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) के माध्यम से खर्च किए जाने थे, जिसे ट्रंप प्रशासन ने पिछले कुछ सालों में काफी हद तक कमजोर कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र ने इस फैसले पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि यह कदम हमारी बजटीय स्थिति को और कठिन बना देगा। उन्होंने कहा हम अमेरिकी अधिकारियों से इस बारे में और अधिक जानकारी हासिल करने की कोशिश करेंगे।
उधर, राजनीतिक मोर्चे पर भी इस फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है। डेमोक्रेट्स का कहना है कि प्रशासन ने कुल मिलाकर 425 अरब डॉलर से अधिक राशि पर रोक लगाई है। रिपब्लिकन पार्टी के ज्यादातर सांसद खर्चों में कटौती का समर्थन करते हैं, भले ही इससे कांग्रेस के अधिकार कमजोर हों। लेकिन रिपब्लिकन सीनेटर सुसान कॉलिन्स, जो सीनेट एप्रोप्रिएशन्स कमेटी की प्रमुख भी हैं, ने इस कदम को गलत बताया है।
सुसान कॉलिन्स ने कहा कि कानून को दरकिनार करने के बजाय सही तरीका यह है कि वार्षिक द्विदलीय बजट प्रक्रिया के जरिए अनावश्यक खर्चों में कटौती की जाए। डेमोक्रेटिक नेता चक शूमर ने ट्रंप पर आरोप लगाया कि वे जानबूझकर सितंबर के अंत में सरकार को शटडाउन की ओर धकेलना चाहते हैं। विवाद का असर अमेरिकी घरेलू राजनीति और अंतरराष्ट्रीय स्तर, दोनों पर पड़ेगा।
इस मसले पर एक ओर कांग्रेस के अधिकार और राष्ट्रपति की शक्ति के बीच टकराव तेज होगा, तो दूसरी ओर विदेशी सहायता पर निर्भर देशों और संयुक्त राष्ट्र जैसे संस्थानों के सामने वित्तीय संकट खड़ा हो सकता है। यह कदम आने वाले समय में न केवल अमेरिकी लोकतांत्रिक संस्थाओं की संतुलन की परीक्षा लेगा, बल्कि वैश्विक कूटनीति और मानवीय कार्यक्रमों पर भी गहरा असर डालेगा।