Aniruddh Singh
7 Nov 2025
Aniruddh Singh
7 Nov 2025
Aniruddh Singh
7 Nov 2025
मुंबई। भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को गिरावट में बंद हुआ। अमेरिकी विनिमार्ण सेक्टर के कमजोर आंकड़ों, कमजोर तिमाही नतीजों और अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता में स्पष्टता की कमी और बढ़ते भूराजनीतिक तनाव के कारण निवेशक सतर्क नजर आए। दिन भर के उतार-चढ़ाव के बाद बीएसई सेंसेक्स 524.51 अंकों की गिरावट के साथ 83,452.98 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 166.75 अंक टूटकर 25,597.85 के स्तर पर आ गया। दोनों प्रमुख सूचकांकों में लगभग 0.6% की गिरावट दर्ज की गई। बाजार में अधिकांश सेक्टरों में बिकवाली हावी रही। ऑटो, मेटल, आईटी और बैंकिंग शेयरों में सबसे अधिक दबाव देखने को मिला। वहीं, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और मीडिया सेक्टरों ने मामूली बढ़त देखने को मिली, जिससे बाजार को आंशिक सहारा मिला। कमजोर निवेश भावना और हल्की मुनाफावसूली के कारण बाजार का मूड सुस्त दिखाई दिया।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के सेक्टरोरल प्रदर्शन की बात करें तो बीएसई बैंकएक्स 302 अंक टूटकर 65,027.82 पर बंद हुआ, जबकि सेंसेक्स 50 और सेंसेक्स नेक्स्ट 50 में क्रमशः 0.68% और 0.37% की गिरावट रही। भारत 22 इंडेक्स में सबसे ज्यादा 1.20% की गिरावट दर्ज की गई, जो सार्वजनिक उपक्रमों के शेयरों में कमजोरी का संकेत देता है। बाजार के शीर्ष बढ़त वाले शेयरों में थंगमयिल ज्वैलरी लिमिटेड 16.93% की भारी उछाल के साथ ₹3,044 पर बंद हुआ। 3एम इंडिया में भी 16.79% की तेजी देखी गई। इसके अलावा, बैंक आफ इंडिया, पावर इंडिया और सिटी यूनियन बैंक के शेयरों में 9% से 13% तक की मजबूती देखने को मिली। दूसरी ओर, शीर्ष गिरावट वाले शेयरों में रिलायंस पावर 7.81% टूटा, जबकि तारिल, केमप्लास्ट, होमफर्स्ट और फ्यूजन पीपी में 4% से 6% तक की गिरावट दर्ज की गई।
बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों के कुल 4,329 शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 1,619 शेयरों में तेजी रही। जबकि, 2,540 कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिली, जबकि 170 शेयर बिना बदलाव के बंद हुए। 145 शेयर अपने 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर पर और 91 शेयर निचले स्तर पर जा पहुंचे। अपर सर्किट में 199 और लोअर सर्किट में 153 शेयर रहे। आज की गिरावट के बीच बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल मार्केट कैप लगभग ₹4.70 लाख करोड़ यानी लगभग 5.3 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर आ गया। कुल मिलाकर, विदेशी और घरेलू निवेशकों की सतर्कता, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और सीमित खरीदारी के चलते बाजार पर दबाव बना रहा, जिससे यह कमजोरी जारी रही।