Aniruddh Singh
3 Nov 2025
नई दिल्ली। देश की संकटग्रस्त दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया (वीआई) को अमेरिका स्थित निजी इक्विटी फर्म टिलमैन ग्लोबल होल्डिंग्स (टीजीएच) कंपनी में 4 से 6 अरब डॉलर (लगभग ₹35,000 से ₹52,800 करोड़) का निवेश करने के लिए बातचीत कर रही है। इस सौदे के तहत टीजीएच वोडाफोन आइडिया में प्रमोटर की भूमिका निभाएगी और परिचालन नियंत्रण अपने हाथ में लेगी, जिससे मौजूदा प्रमोटर आदित्य बिड़ला समूह और ब्रिटेन की वोडाफोन ग्रुप की भूमिका सीमित हो जाएगी। हालांकि, यह निवेश तभी होगा जब सरकार वोडाफोन आइडिया की सभी देनदारियों को ध्यान में रखते हुए एक समग्र राहत पैकेज तैयार करेगी। इसमें कंपनी के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाया, स्पेक्ट्रम भुगतान और अन्य वैधानिक देनदारियां शामिल हैं। फिलहाल केंद्र सरकार वोडाफोन आइडिया की सबसे बड़ी शेयरधारक कंपनी है, जिसके पास लगभग 49% हिस्सेदारी है, लेकिन वह एक निष्क्रिय निवेशक के रूप में बनी रहेगी।
सूत्रों के अनुसार, टीजीएच ने सरकार को एक विस्तृत प्रस्ताव सौंपा है जिसमें सभी बकाया राशि के पुनर्गठन की मांग की गई है। कंपनी किसी भी तरह से पूरी छूट की मांग नहीं कर रही, बल्कि ऐसा पुनर्गठन चाहती है जिससे कंपनी को अपने संचालन और वित्तीय दायित्वों को संभालने के लिए कुछ राहत मिल सके। इस प्रस्ताव के अनुसार, टीजीएच का निवेश तभी लागू होगा जब सरकार बकाया पुनर्गठन योजना को मंजूरी देगी और पुनर्गठन पैकेज की शर्त भी इसी निवेश पर आधारित होगी। सरकार की ओर से यह सौदा केवल ऋण माफी का मामला नहीं है, बल्कि इसमें एक अनुभवी निवेशक और परिचालन विशेषज्ञ को शामिल करने की भी सोच है, जिससे कंपनी को दीर्घकालिक स्थिरता मिल सके। टीजीएच के चेयरमैन और सीईओ संजय आहूजा पहले फ्रांसीसी टेलीकॉम कंपनी ऑरेंज को 2003 से 2007 के बीच घाटे से लाभ में लाने के लिए जाने जाते हैं।
फर्म डिजिटल और ऊर्जा परिवर्तन अवसंरचना क्षेत्रों में निवेश करती है और दुनिया के कई देशों में टेलीकॉम फाइबर और टॉवर परिसंपत्तियों में हिस्सेदारी रखती है। टीजीएच और वोडाफोन आइडिया के बीच बातचीत नई नहीं है। करीब 18 महीने पहले भी यह फर्म वीआई में निवेश को लेकर बातचीत कर चुकी थी, लेकिन उस समय वीआई ने संस्थागत निवेशकों को शेयर बेचकर पूंजी जुटाने का फैसला किया था, जिससे टीजीएच पीछे हट गया। अब, जब वीआई वित्तीय संकट में गहराई तक फंस चुकी है, बातचीत फिर से तेज हो गई है। पिछले साल वोडाफोन आइडिया ने ₹24,000 करोड़ का फंड जुटाया था, लेकिन उससे कंपनी की वित्तीय स्थिति में कोई ज्यादा सुधार नहीं हुआ। वह अब तक ₹25,000 करोड़ का ऋण भी नहीं जुटा पाई है। उधर, दूरसंचार विभाग (डॉट) ने कंपनी के ₹84,000 करोड़ के बकाए पर राहत देने के लिए कई विकल्प तैयार किए हैं, जिनमें ब्याज और पेनल्टी भी शामिल हैं।
अगर यह सौदा हुआ है, तो टीजीएच के निवेश से मौजूदा प्रमोटरों के लिए हिस्सेदारी घटाकर बाहर निकलने का अवसर बनेगा। सरकार की हिस्सेदारी भी कम होगी, लेकिन उसे वित्तीय बकाए को शेयरों में बदलकर अधिकतम 49% हिस्सेदारी बनाए रखने का विकल्प रहेगा। कंपनी को चालू वित्त वर्ष के अंत तक बड़ी रकम चुकानी है, जिसमें हजारों करोड़ रुपए के एजीआर बकाए शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में दिए गए आदेश से कुछ राहत तो मिली है, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वह राहत केवल अतिरिक्त मांग ₹9,000 करोड़ तक सीमित है या सभी एजीआर बकायों पर लागू होगी। कुल मिलाकर, टीजीएच का निवेश वोडाफोन आइडिया के लिए एक संभावित टर्नअराउंड डील साबित हो सकता है, बशर्ते सरकार नियामकीय बकायों पर राहत प्रदान करे और कंपनी को पुनर्गठन का अवसर दे।