Peoples Reporter
4 Nov 2025
नई दिल्ली। देशभर में चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) की शुरुआत होते ही राजनीति गर्मा गई है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन करना बताया जा रहा है, लेकिन विपक्षी दल इसे नागरिकता और मताधिकार से जुड़े अधिकारों पर हमला बता रहे हैं। आइए जानते हैं एसआईआर से जुड़ी 10 बड़ी बातें, जो आपके लिए जानना जरूरी हैं-
चुनाव आयोग के अनुसार, एसआईआर का मुख्य उद्देश्य अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान करना और उन्हें मतदाता सूची से हटाना है। इसके तहत मतदाताओं के जन्म स्थान और नागरिकता से जुड़ी जानकारी की जांच की जाएगी। हाल के महीनों में बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों पर हुई कार्रवाई के बाद यह कदम काफी अहम माना जा रहा है।
यह प्रक्रिया देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शुरू की गई है- अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल। इनमें से तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए इस प्रक्रिया को राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील माना जा रहा है।
एसआईआर की गणना प्रक्रिया 4 नवंबर से 4 दिसंबर 2025 तक चलेगी। चुनाव आयोग 9 दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची (Draft Roll) जारी करेगा, जबकि 7 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।
चुनाव आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि, कोई भी योग्य मतदाता सूची से बाहर न रह जाए और कोई भी अयोग्य मतदाता सूची में शामिल न हो। इसके अलावा, आयोग का यह भी मानना है कि यह कदम मतदाता सूची की पारदर्शिता और शुद्धता सुनिश्चित करेगा।
बिहार में 2003 में हुई मतदाता सूची का पुनरीक्षण इस प्रक्रिया का आधार बना था। उसी की तर्ज पर अब बाकी राज्यों में भी मतदाता सूची की कट-ऑफ डेट तय की जाएगी। अधिकांश राज्यों में पिछला एसआईआर 2002 से 2004 के बीच हुआ था।
इस प्रक्रिया के खिलाफ सबसे पहले आवाज तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल से उठी। डीएमके (DMK) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि एसआईआर असंवैधानिक और मनमाना है। वहीं, टीएमसी (TMC) ने इसे भाजपा की साजिश बताते हुए कहा कि यह कदम बंगालियों को विदेशी करार देने का प्रयास है। दोनों ही दलों ने आरोप लगाया कि, चुनाव आयोग भाजपा के दबाव में काम कर रहा है।
डीएमके ने 27 अक्टूबर की चुनाव आयोग की अधिसूचना को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन करती है। सुप्रीम कोर्ट में इस पर जल्द सुनवाई हो सकती है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी मंगलवार को कोलकाता में इस प्रक्रिया के खिलाफ मार्च निकालेंगे। वहीं, भाजपा नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने पलटवार करते हुए कहा कि टीएमसी का विरोध अवैध घुसपैठियों को बचाने की कोशिश है। अधिकारी खुद भी उत्तर 24 परगना जिले में रैली निकालेंगे और घुसपैठियों को हटाने की मांग करेंगे।
एसआईआर के दौरान नागरिकों को अपनी पहचान साबित करने के लिए कुछ दस्तावेज दिखाने होंगे, जैसे-
जहां भाजपा इस प्रक्रिया को पारदर्शिता की दिशा में कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे मतदाता सूची से छेड़छाड़ का हथियार मान रहा है। आगामी महीनों में सुप्रीम कोर्ट का फैसला, और राजनीतिक दलों के विरोध प्रदर्शन यह तय करेंगे कि एसआईआर केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया रह जाएगी या फिर यह राष्ट्रीय बहस का बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन जाएगी।