Mithilesh Yadav
9 Nov 2025
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सबसे व्यस्त इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (IGI) एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ी से शुक्रवार को उड़ानों का संचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ। करीब 12 घंटे तक कई उड़ानें देरी से चलीं और 20 ज्यादा फ्लाइट्स को रद्द करना पड़ा। केंद्र सरकार ने इसकी उच्च स्तरीय जांच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) कार्यालय की निगरानी में शुरू की है। वहीं एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स गिल्ड (ATC Guild) का दावा है कि उसने कई महीने पहले ही ऑटोमेशन में खामियों को लेकर चेतावनी दी थी।
जांच एजेंसियां यह पता लगा रही हैं कि कहीं यह गड़बड़ी किसी साइबर हमले का नतीजा तो नहीं थी। सूत्रों के अनुसार, यह खराबी एयर ट्रैफिक कंट्रोल के ऑटोमैटिक मैसेज स्विच सिस्टम (AMSS) में आई थी। एक टर्मिनल पर शुरू हुई समस्या से पूरा सिस्टम ठप पड़ गया था। ATC अधिकारियों का कहना है कि इतने लंबे समय तक सिस्टम डाउन रहना अब तक की सबसे बड़ी तकनीकी समस्या है।
वहीं ATC गिल्ड ऑफ इंडिया ने दावा किया है कि जुलाई 2025 में ही उन्होंने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) को सिस्टम में कमियों और अपग्रेड की जरूरत को लेकर चेताया था। अगर समय पर सुधार किया जाता, तो यह स्थिति टल सकती थी।

डीजीसीए (DGCA) और नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) ने एएआई और एयर नेविगेशन सर्विसेज से इस खराबी पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। प्रारंभिक जांच में सॉफ्टवेयर और पावर सप्लाई से जुड़ी समस्या की संभावना जताई जा रही है।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू शनिवार रात IGI एयरपोर्ट पहुंचे और एटीसी टावर का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को उड़ानों के संचालन की समीक्षा करने और खराबी के मूल कारण का पता लगाने के निर्देश दिए। मंत्री ने कहा कि अब सिस्टम पूरी तरह से बहाल हो चुका है, लेकिन भविष्य में ऐसी स्थिति न बने इसके लिए अतिरिक्त बैकअप सर्वर और तकनीकी सुधार किए जाएंगे।
सिस्टम फेल होने के कारण हजारों यात्री एयरपोर्ट पर घंटों फंसे रहे। बोर्डिंग गेट के पास लंबी कतारें लगी रहीं। उड़ानों में औसतन 50 मिनट की देरी हुई। इस गड़बड़ी का असर सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि मुंबई, भोपाल, चंडीगढ़, अमृतसर सहित कई शहरों पर भी पड़ा। वहीं दिल्ली एयरपोर्ट ने 8 नवंबर दोपहर तक यह स्पष्ट किया कि सभी उड़ान संचालन सामान्य हो गए हैं।
तकनीकी खराबी के दौरान एयर ट्रैफिक कंट्रोल को पुराने मैन्युअल सिस्टम से काम करना पड़ा। यानी हर उड़ान का डेटा और अनुमति कागज पर संभालनी पड़ी। एएआई ने यात्रियों से अपील की कि वे अपनी एयरलाइन से उड़ान की ताज़ा जानकारी लेते रहें।

ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) एक ऐसा नेटवर्क सिस्टम है, जो पायलट, ग्राउंड स्टाफ और दूसरे एयरपोर्ट्स को रीयल-टाइम में उड़ानों से जुड़ी जानकारी भेजता है। इसके जरिए उड़ान का रूट, ऊंचाई, मौसम की स्थिति, टेकऑफ और लैंडिंग का समय जैसी सूचनाएं हर सेकंड अपडेट होती रहती हैं। सिस्टम फेल होने का मतलब है पूरा एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट ठप होना।
इस सिस्टम के फेल होने पर कंट्रोलर्स को हैंडरिटन क्लीयरेंस और टेलीफोन कोऑर्डिनेशन जैसे मैनुअल तरीकों का सहारा लेना पड़ता है, इसके कारण ऑपरेशन काफी धीमा हो जाता है। साथ ही मानवीय गलती की संभावना बढ़ जाती है।