रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तीन साल बाद भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। आखिरी बार वे दिसंबर 2021 में भारत आए थे। इस बार 4-5 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच 23वीं वार्षिक भारत-रूस समिट आयोजित होगी। दोनों नेताओं की दोस्ती और रणनीतिक साझेदारी दुनिया भर में चर्चा का विषय रही है। यूक्रेन युद्ध के बाद भी भारत-रूस संबंध मजबूत बने हुए हैं।
डिफेंस सहयोग बैठक का मुख्य एजेंडा - नई S-400 डील
इस समिट का सबसे बड़ा मुद्दा डिफेंस सहयोग है, खासकर S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की नई डील। भारत ने पुरानी डील के तहत 5 रेजिमेंट का ऑर्डर दिया था, जिसमें से 3 रेजिमेंट मिल चुकी हैं। अब रूस 2-3 नई रेजिमेंट की अतिरिक्त पेशकश कर रहा है।
हथियार सप्लायर के रूप में रूस का महत्व अब भी बरकरार
- 2009-2014: 72–76% हथियार रूस से
- 2015-2019: 55%
- 2020-2024: 36% (SIPRI 2025 रिपोर्ट)
भले ही प्रतिशत कम हुआ हो, लेकिन भारत के 60-70% हथियार अब भी रूसी तकनीक पर आधारित हैं। भारत फ्रांस, अमेरिका और इजरायल से भी हथियार खरीद रहा है, लेकिन रूस के साथ पुराना भरोसेमंद रिश्ता कायम है।
भारत-रूस के बीच चल रहे प्रमुख रक्षा प्रोजेक्ट
- S-400 एयर डिफेंस सिस्टम (5 में से 3 रेजिमेंट तैनात)
- सु-30 MKI लड़ाकू विमान उत्पादन (HAL में)
- टी-90 टैंक और मिग-29 अपग्रेड
- ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
- AK-203 राइफल फैक्ट्री (अमेठी)
- कामोव Ka-226 हेलिकॉप्टर निर्माण
- नौसेना के लिए उन्नत स्टेल्थ फ्रिगेट
नई S-400 डील: तकनीक ट्रांसफर में बड़ी बढ़ोतरी
नई पेशकश में रूस 50% तक तकनीक ट्रांसफर देने को तैयार है-
- भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) मिसाइलें बनाएगी
- 48N6 मिसाइल का उत्पादन भारत में
- रखरखाव के 50% स्पेयर पार्ट्स भी यहीं बनेंगे
रूसी कंपनी रोस्टेक ने वादा किया है कि इस बार कोई देरी नहीं होगी।
S-400 का दम: 'ऑपरेशन सिंदूर' में पाकिस्तान पर भारी
- मई 2025 में भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान-
- पंजाब के आदमपुर बेस से S-400 ने 314 किमी दूर पाकिस्तानी विमान मार गिराया
- एक साथ 300+ टारगेट ट्रैक किए
- कुल 7 पाकिस्तानी विमान ढेर
- 5 मिनट में ऑपरेशन के लिए तैयार
इसी वजह से भारतीय वायुसेना इसे ‘सुदर्शन चक्र’ कहती है। चीन और पाकिस्तान दोनों बॉर्डर पर S-400 सबसे मजबूत सुरक्षा कवच है।
पुतिन-मोदी वार्ता में और क्या-क्या मुद्दे होंगे?
- रूस से सस्ता क्रूड ऑयल और LNG बढ़ाने पर चर्चा
- कुडनकुलम न्यूक्लियर प्लांट के नए यूनिट
- गगनयान मिशन में रूस का सहयोग
- GLONASS नेविगेशन सिस्टम
- ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल प्रोजेक्ट
- 5th जेनरेशन Su-57 फाइटर जेट
- 10 लाख AK-203 राइफल निर्माण में तेजी
भारत रूस को क्यों नहीं छोड़ सकता?
भारतीय सेना के पुराने हथियारों के स्पेयर पार्ट्स रूस ही देता है।
रूसी हथियार-
- सस्ते
- भरोसेमंद
- बड़े पैमाने पर उपलब्ध
अमेरिका या फ्रांस के दबाव के बावजूद रूस ने भारत का साथ कभी नहीं छोड़ा। पुरानी रूसी प्रणालियाँ आने वाले 20-25 साल और चलेंगी।
यह यात्रा क्यों अहम है?
- यह दौरा भारत की वायु रक्षा को नई मजबूती देगा।
- नई S-400 रेजिमेंट के रास्ते खुलेंगे।
- टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से ‘मेक इन इंडिया’ को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
- पाकिस्तान और चीन को स्पष्ट संदेश जाएगा कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर समझौता नहीं करेगा।