Mithilesh Yadav
12 Oct 2025
Mithilesh Yadav
11 Oct 2025
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11 Oct 2025
दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में पहली बार गांधी शिल्प बाजार-हस्तशिल्प प्रदर्शनी और बिक्री मेला का आयोजन किया गया। यह पहल स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से आत्मनिर्भर भारत की भावना को साकार कर रही है। यह मेला कारीगरों और उपभोक्ताओं के बीच सीधा संपर्क स्थापित कर रहा है।
बता दें कि, गांधी शिल्प बाजार-हस्तशिल्प प्रदर्शनी और बिक्री मेला का आयोजन गोंडवाना भवन सिविल लाइन दुर्ग में आज से किया जा रहा है, जो की 18 अक्टूबर 2025 तक चलेगा। इसका समय रोजाना सुबह 11 बजे से रात 10 बजे तक रहेगा। वहीं, यह केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से खादी ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा आयोजित हो रहा है। इस मेले में देश के 8 राज्यों से लगभग 45 स्टॉल लगाए गए हैं। जिसमें बांस कला, गोदना प्रिंट, जूट क्राफ्ट, मृद्भांड, हैंडलूम, खादी वस्त्र और हर्बल उत्पाद जैसी विविध कलाएं शामिल है।
खादी ग्राम उद्योग के असिस्टेंट डायरेक्टर मनोज राठी ने बताया कि इस आयोजन का लक्ष्य ग्रामीण और शहरी शिल्पकारों को एक ऐसा मंच देना है। जहां वे सीधे उपभोक्ताओं से जुड़कर अपने उत्पादों को उचित मूल्य पर बेच सकें। छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राकेश पांडे ने इसे पारंपरिक कारीगरों को बल देने वाली संयुक्त पहल बताया। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि राज्यभर के शिल्पकारों को उनके उत्पादों के लिए स्थायी बाजार मिले।
अंबिकापुर जिले की शिल्पकार दिलबसिया पावले ने अपनी अनूठी गोदना प्रिंट कला से सबका ध्यान खींचा। वह 40 साल की उम्र से हर्बल रंगों का उपयोग करके कपड़ों, चादरों और साड़ियों पर कलाकृतियां बना रही हैं। उन्होंने कहा कि यह कला अब उनके पूरे परिवार के लिए रोजगार का जरिया बन गई है और उन्हें देश के कई राज्यों में प्रदर्शनी लगाने का मौका मिला है। उनके अनुसार, ऐसे मंच कारीगरों को हुनर दिखाने और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए बहुत जरूरी हैं।
दुर्ग के बाद जल्द ही भिलाई में 70 स्टॉलों की प्रदर्शनी लगाने की योजना है। इसके अतिरिक्त राज्य स्तरीय हस्तशिल्प प्रदर्शनी के आयोजन की भी तैयारी की जा रही है। जिसके लिए केंद्र सरकार से सहयोग मांगा गया है।