Aniruddh Singh
13 Oct 2025
Aniruddh Singh
13 Oct 2025
Aniruddh Singh
13 Oct 2025
सिंगापुर। एशियाई बाजारों में सोमवार, 13 अक्टूबर को कच्चे तेल की कीमतों में करीब 2% की मजबूत बढ़त दर्ज की गई। यह उछाल उस समय आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लगाए जाने वाले भारी शुल्क (टैरिफ) के मसले पर अपना रुख नरम किया और निवेशकों को भरोसा दिलाया कि सब कुछ ठीक रहेगा। इससे पहले, शुक्रवार को तेल की कीमतों में लगभग 4% की बड़ी गिरावट आई थी, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयात पर अतिरिक्त 100% शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जिससे वैश्विक तेल मांग को लेकर चिंता बढ़ गई थी।
एशियाई कारोबार के दौरान ब्रेंट क्रूड दिसंबर वायदा 1.7% बढ़कर 63.78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) कच्चा तेल 1.8% उछलकर 59.95 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। दोनों ही बेंचमार्क इंडेक्सों ने शुक्रवार को पांच महीने के निचले स्तर को छू लिया था, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों ने बाजार में फिर से स्थिरता लौटा दी है।
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, चीन की चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका चीन की मदद करना चाहता है, नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता। उनके इस नरम बयान ने निवेशकों में राहत की भावना पैदा की और बीते सप्ताह के भारी बिकवाली के बाद बाजार में कुछ सुधार देखने को मिला। इससे न केवल तेल बल्कि अन्य कमोडिटी बाजारों में भी सकारात्मक रुख लौटा।
हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि तेल बाजार में यह सुधार अस्थायी हो सकता है क्योंकि आपूर्ति को लेकर चिंताएं अभी भी बरकरार हैं। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (ईआईए) ने पिछले सप्ताह अपनी रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2025 में अमेरिका का कच्चा तेल उत्पादन रिकॉर्ड स्तर 13.53 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच सकता है। इसका अर्थ है कि बाजार में तेल की आपूर्ति और अधिक बढ़ेगी, जिससे कीमतों पर दबाव बना रह सकता है।
इसी बीच, तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक+ ने भी नवंबर महीने से उत्पादन में धीरे-धीरे बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। समूह ने उत्पादन में 1,37,000 बैरल प्रतिदिन की मामूली वृद्धि की घोषणा की है। यह वृद्धि उन विकल्पों में सबसे छोटी है जिन पर चर्चा हुई थी, ताकि बाजार स्थिरता और संभावित अधिक आपूर्ति के बीच संतुलन बना रहे। तेल बाजार पर भू-राजनीतिक परिस्थितियों का भी असर पड़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा कराए गए इज़राइल-हमास युद्धविराम समझौते ने मध्य पूर्व में तनाव को कुछ कम किया है, जिससे तेल की कीमतों पर दबाव बना है।
आमतौर पर इस क्षेत्र में तनाव बढ़ने से तेल की कीमतों में तेजी आती है, लेकिन शांति बहाल होने से इसका उल्टा असर पड़ा। कुल मिलाकर, डोनाल्ड ट्रंप के नरम बयानों ने फिलहाल बाजार में विश्वास बहाल किया है और कच्चे तेल की कीमतों को गिरावट से कुछ हद तक उबार लिया है। हालांकि, दीर्घकाल में तेल बाजार को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है क्योंकि एक ओर अमेरिका और ओपेक+ का उत्पादन बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर वैश्विक मांग में कमी की आशंका मंडरा रही है।