Aniruddh Singh
13 Oct 2025
Aniruddh Singh
13 Oct 2025
Aniruddh Singh
13 Oct 2025
सिंगापुर। एशियाई मुद्रा बाजार में सोमवार को ज्यादा हलचल नहीं देखने को मिली, क्योंकि निवेशक अमेरिका और चीन के बीच फिर से बढ़े व्यापार तनाव को लेकर सतर्क हो गए हैं। इस दौरान जापान की मुद्रा येन में गिरावट आई, जिसका कारण वहां की राजनीतिक अस्थिरता बताई जा रही है। डॉलर इंडेक्स, जो अमेरिकी मुद्रा की ताकत को छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले मापता है, सोमवार को मामूली 0.1% गिरा। हालांकि पिछले सप्ताह इसने बढ़त दर्ज की थी। डॉलर इंडेक्स फ्यूचर्स भी सोमवार को लगभग स्थिर रहे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को चीन के साथ व्यापार युद्ध को फिर से हवा दी, जब उन्होंने अमेरिकी बाजार में आने वाले चीनी सामानों पर 100% तक शुल्क लगाने की धमकी दी।
इसके साथ ही महत्वपूर्ण तकनीकों पर नए निर्यात नियंत्रण लागू करने की बात कही। इससे बाजारों में फिर से तनाव का माहौल बन गया। हालांकि सप्ताहांत डोनाल्ड ट्रंप ने अपने रुख को कुछ नरम किया और कहा कि चीन की चिंता मत करो, सब ठीक होगा। उनके इस बयान के बाद निवेशकों की घबराहट कुछ कम हुई, लेकिन विश्लेषक अब भी मानते हैं कि यह तनाव जल्द खत्म होने वाला नहीं है। जापान के एमयूएफजी बैंक के विश्लेषकों ने कहा कि ट्रंप का ट्वीट यह नहीं दिखाता कि व्यापार तनाव खत्म हो गया है, क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच अपेक्षाओं का अंतर बहुत बड़ा है। उनका कहना है कि इस वजह से बाजारों में अल्पावधि में अस्थिरता बनी रह सकती है और निवेशक जोखिम भरे परिसंपत्तियों में निवेश से बच सकते हैं।
इसी बीच, चीन के नए आंकड़ों से पता चला कि देश के निर्यात और आयात उम्मीद से बेहतर रहे हैं, हालांकि वैश्विक तनाव और घरेलू मांग में कमी ने अर्थव्यवस्था पर दबाव बनाए रखा है। इसके बावजूद, चीनी युआन में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया। दूसरी ओर, जापानी येन प्रमुख एशियाई मुद्राओं में सबसे ज्यादा कमजोर हुआ। डॉलर के मुकाबले येन की दर बढ़कर 151.90 येन प्रति डॉलर तक पहुंच गई। इसका मुख्य कारण जापान की सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार में राजनीतिक संकट है। कोमेतो पार्टी ने गठबंधन से बाहर निकलने का फैसला किया, जिससे यह अनिश्चितता पैदा हो गई कि सत्तारूढ़ पार्टी की उम्मीदवार साने ताकाइची प्रधानमंत्री बनने के लिए पर्याप्त समर्थन जुटा पाएंगी या नहीं।
इस राजनीतिक अस्थिरता से जापान की आर्थिक नीतियों की निरंतरता और वित्तीय दिशा पर सवाल उठ गए हैं। ताकाइची प्रोत्साहन पैकेज और सरकारी खर्च बढ़ाने की पक्षधर रही हैं, लेकिन अब निवेशकों को डर है कि बैंक ऑफ जापान अपनी ढीली मौद्रिक नीति को और लंबे समय तक जारी रख सकता है। अन्य एशियाई मुद्राओं में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखा। सिंगापुर डॉलर और दक्षिण कोरियाई वोन स्थिर रहे, जबकि ऑस्ट्रेलियाई डॉलर 0.7% बढ़ा, जिसे वैश्विक जोखिम भावना के संकेतक के रूप में देखा जाता है। भारतीय रुपया सोमवार को लगभग अपरिवर्तित रहा। कुल मिलाकर, एशिया के मुद्रा बाजारों में सावधानी और अनिश्चितता का माहौल है। एक ओर अमेरिका-चीन व्यापार तनाव से जोखिम बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर जापान की राजनीति में उथल-पुथल निवेशकों की चिंता का कारण बन रही है।