Mithilesh Yadav
11 Oct 2025
Mithilesh Yadav
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Shivani Gupta
10 Oct 2025
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10 Oct 2025
रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित कोयला घोटाला मामले में नया विवाद सामने आया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) और ACB (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बघेल ने कहा कि जांच एजेंसियां लोगों को झूठे मामलों में फंसा रही हैं और पहले से तैयार किए गए बयानों को कोर्ट में पेश कर रही हैं।
उन्होंने कहा- फैसला लिखा हुआ रखा है पहले से खिलाफ, आप क्या खाक अदालत में सफाई देंगे? इस शेर के जरिए उन्होंने एजेंसियों की कार्यशैली पर कटाक्ष किया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि EOW और ACB के अधिकारी लोगों को फोन कर दबाव बना रहे हैं और बयान देने के लिए मजबूर कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिन बयानों को कोर्ट के सामने कलमबद्ध होना चाहिए था, वे पहले से टाइप कर तैयार किए गए और पेन ड्राइव के जरिए कोर्ट के कंप्यूटर में फीड कर दिए गए। भूपेश बघेल का कहना है कि यह न्यायिक प्रक्रिया का सीधा उल्लंघन है, क्योंकि अब सीआरपीसी की धारा 164 की जगह BNS की धारा 183 लागू हो चुकी है, जिसमें बयान दर्ज करने की प्रक्रिया और भी सख्त हो गई है।
EOW द्वारा कोर्ट में दाखिल किए गए निखिल चंद्राकर के बयान में दो अलग-अलग फॉन्ट्स का इस्तेमाल मिला है। कांग्रेस नेताओं और शिकायतकर्ताओं का कहना है कि यह फॉर्मेट अदालत का नहीं है, जिससे यह साफ होता है कि बयान कोर्ट में नहीं बल्कि किसी अन्य स्थान पर तैयार हुआ। इसके अलावा, बयान में न्यायिक भाषा का अभाव है और कोर्ट का मानक फॉर्मेट पूरी तरह गायब है, जिससे फर्जीवाड़े की आशंका और गहरी हो गई है।
कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया है कि जिस बयान को सील बंद लिफाफे में केवल जज के सामने खोला जाना था, वह मीडिया हाउसों तक कैसे पहुंच गया? भूपेश बघेल ने पूछा- क्या किसी का बयान सार्वजनिक करना कानूनन सही है? अगर नहीं, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है?
कांग्रेस ने साफ किया है कि जब तक इस पूरे मामले की जांच नहीं होती, तब तक वह इसे राजनीतिक और कानूनी रूप से मुद्दा बनाए रखेगी।
रायपुर की एक अदालत में चार वकीलों ने संयुक्त रूप से शिकायत दर्ज कराई, जिसमें EOW और ACB की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। शिकायत के बाद कोर्ट ने EOW और ACB के तीन वरिष्ठ अफसरों- निदेशक अमरेश मिश्रा, डीएसपी राहुल शर्मा और एएसपी चंद्रेश ठाकुर- को नोटिस जारी किया है। अदालत ने तीनों अधिकारियों को 25 अक्टूबर को उपस्थित होकर जवाब देने का निर्देश दिया है।
भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा- अब जांच एजेंसियां खुद ही झूठे बयान और सबूत बना रही हैं? क्या अब सुपारी लेकर फंसाने का काम हो रहा है? उनका दावा है कि बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज नहीं हुआ, बल्कि एजेंसी के दफ्तर में टाइप किया गया दस्तावेज अदालत में कोर्ट बयान बताकर पेश कर दिया गया।
बघेल ने आरोप लगाया कि यह सारा खेल दिल्ली से चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब स्थानीय अफसर छत्तीसगढ़ के नेताओं या जनता की बात तक नहीं सुनते। कांग्रेस के अनुसार, यह सिर्फ राजनीतिक प्रतिशोध नहीं बल्कि राज्य की संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश है।
कांग्रेस ने अभी तक इस मामले पर कोई औपचारिक आंदोलन या विरोध प्रदर्शन की रणनीति तय नहीं की है, लेकिन पार्टी ने साफ कहा है कि जब तक जांच नहीं होती, यह मुद्दा उठाया जाता रहेगा। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि न्यायपालिका की गरिमा और निष्पक्षता पर सवाल उठाना हमारा उद्देश्य नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि किसी निर्दोष व्यक्ति को राजनीतिक कारणों से फंसाया न जाए।
यह विवाद छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला मामले से जुड़ा है, जिसमें कारोबारी सूर्यकांत तिवारी की जमानत पर रायपुर स्पेशल कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। इस दौरान EOW ने निखिल चंद्राकर का बयान पेश किया, जिसे BNS 183 (पहले की धारा 164) के तहत रिकॉर्ड किया गया बताया गया। आरोप है कि यह बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज नहीं हुआ, बल्कि पहले से तैयार दस्तावेज को पेन ड्राइव में डालकर कोर्ट के कंप्यूटर में अपलोड किया गया। बाद में जब बयान की कॉपी वकीलों को दी गई, तो उसमें दो फॉन्ट्स, गैर-न्यायिक भाषा और गलत फॉर्मेट जैसी तकनीकी गड़बड़ियां मिलीं। अब हाईकोर्ट में भी EOW और ACB के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है।