Aniruddh Singh
13 Oct 2025
Aniruddh Singh
13 Oct 2025
Aniruddh Singh
13 Oct 2025
वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठकें इस सप्ताह ऐसे समय शुरू होने वाली हैं जब दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच एक बार फिर व्यापार युद्ध छिड़ गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी आयात पर 100% तक टैरिफ लगाने की धमकी के बाद वैश्विक बाजारों में भारी उथल-पुथल मच गई है। पहले यह बैठकें वैश्विक अर्थव्यवस्था की लचीलापन पर केंद्रित होने वाली थीं, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में अमेरिका और चीन के बीच हुई अस्थायी ट्रेड ट्रूस (युद्धविराम) से दुनिया को राहत मिली थी। इस अस्थायी समझौते से ट्रिपल-डिजिट टैरिफ घटे थे और आईएमएफ ने 2025 के लिए वैश्विक वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 3% कर दिया था।
इसके अलावा, ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की होने वाली बैठक से उम्मीदें थीं कि दोनों देशों के रिश्ते सुधर सकते हैं। लेकिन शुक्रवार को ट्रंप द्वारा इस बैठक को रद्द करने और चीन पर बड़े पैमाने पर नए टैरिफ लगाने की चेतावनी ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उसी दिन चीन ने भी अमेरिकी जहाजों पर नए पोर्ट शुल्क लगा दिए, जिससे तनाव और बढ़ गया। अब आईएमएफ और विश्व बैंक की वार्षिक बैठकें, जिनमें 190 से अधिक देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक गवर्नर शामिल होंगे, पूरी तरह इस विषय से प्रभावित होंगी। पूर्व आईएमएफ रणनीति प्रमुख मार्टिन म्यूलहाइजेन ने कहा कि ट्रंप का यह रवैया शायद बातचीत में दबाव बनाने की रणनीति हो, लेकिन इससे इस सप्ताह की सभी चर्चाएं अस्थिर हो जाएंगी।
मार्टिन म्यूलहाइजेन ने कहा कि यदि ट्रंप 100% टैरिफ लागू कर देते हैं, तो अमेरिकी बाजारों में काफी दर्द देखने को मिलेगा। ट्रंप की धमकी के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों और नीति निर्माताओं के बीच पहले से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित निवेश उछाल को लेकर चिंता थी, क्योंकि इससे भविष्य में रोजगार प्रभावित होने की आशंका है। चीन के पास भी अपनी ताकत है, क्योंकि वह रेयर अर्थ मिनरल्स यानी दुर्लभ धातुओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, जिनकी आवश्यकता तकनीकी उपकरणों के निर्माण में होती है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बीजिंग के लिए भी यह उचित नहीं होगा कि वह फिर से ऊंचे टैरिफ के दौर में लौटे, क्योंकि इससे उसकी अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा।
वर्तमान स्थिति में यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट इस सप्ताह किसी चीनी अधिकारी से मिलेंगे या नहीं। हालांकि, इस तनावपूर्ण माहौल के बीच आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अब भी झटकों को झेलने की क्षमता रखती है-चाहे वह टैरिफ हो या फिर बढ़ते कर्ज, या तकनीकी बदलावों से जुड़ी चुनौतियां हों। कुल मिलाकर, आईएमएफ और विश्व बैंक की ये बैठकें एक ऐसे समय में हो रही हैं, जब दुनिया फिर से ट्रंप बनाम चीन व्यापार युद्ध के नए अध्याय का सामना कर रही है। यदि यह तनाव बढ़ा तो वैश्विक विकास दर, निवेश प्रवाह, और बाजार स्थिरता, तीनों पर गहरा असर पड़ सकता है।