
गुना/चांचौड़ा। भारतीय जनता पार्टी की चांचौड़ा विधायक प्रियंका पेंची और गुना एसपी अंकित सोनी के बीच प्रशासनिक टकराव अब सार्वजनिक हो गया है। विधायक ने 29 मई को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर गुना एसपी और चांचौड़ा एसडीओपी पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि उन्हें महिला विधायक होने के कारण जानबूझकर परेशान किया जा रहा है। अब यह पत्र सार्वजनिक होने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।
मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, जताई प्रशासनिक असहमति
विधायक प्रियंका पेंची ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि चांचौड़ा विधानसभा में तैनात थानों के इंचार्ज बिना किसी स्थानीय जनप्रतिनिधि या प्रभारी मंत्री की सलाह के बदले जा रहे हैं। उन्होंने कहा- “हर दिन नई कहानियां गढ़कर मुझे मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है। ये सब इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मैं एक महिला विधायक हूं।” उन्होंने यह भी बताया कि इस संबंध में उन्होंने ग्वालियर रेंज के आईजी और मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन पर संपर्क कर अपनी पीड़ा जाहिर की थी।
वायरल पत्र पर दी सफाई, बोलीं- अपनी बात कहना मेरा अधिकार
पत्र वायरल होने के बाद विधायक प्रियंका पेंची ने बयान जारी कर कहा- मैं एक जनप्रतिनिधि हूं और अपनी बात कहना मेरा संवैधानिक अधिकार है। मैंने जो महसूस किया, वही पार्टी और मुख्यमंत्री के सामने स्पष्ट किया है।
गुना एसपी और एसडीओपी ने आरोपों को किया खारिज
उधर, गुना पुलिस अधीक्षक अंकित सोनी ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा- चांचौड़ा में कुल 5 थाने हैं। इनमें से मकसूदनगढ़ और जामनेर में कोई तबादला नहीं हुआ है। चांचौड़ा एसआई का स्थानांतरण विधायक की अनुशंसा पर ही किया गया था। मृगवास में टीआई का पद रिक्त है और कुंभराज टीआई का तबादला निरस्त किया जा चुका है।
वहीं, चांचौड़ा एसडीओपी महेंद्र गौतम ने बताया कि वे स्थाई नहीं, बल्कि अतिरिक्त प्रभार में हैं, क्योंकि नियमित एसडीओपी मातृत्व अवकाश पर हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि ट्रांसफर-पोस्टिंग उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है।
प्रशासनिक स्वतंत्रता पर बहस
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर प्रशासनिक व्यवस्था और राजनीतिक हस्तक्षेप की बहस को हवा दे दी है। यह देखना अब अहम होगा कि मुख्यमंत्री कार्यालय इस मामले में क्या रुख अपनाता है और क्या उच्चस्तरीय जांच की अनुशंसा की जाती है।
(इनपुट – राजकुमार रजक)