Aniruddh Singh
7 Nov 2025
Aniruddh Singh
7 Nov 2025
मुंबई। शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली। बाजार बंद होने के बाद सेंसेक्स 721 अंकों की गिरावट के साथ 81,463.06 बंद हुआ और निफ्टी 225 अंकों की गिरावट के साथ 24,837 पर बंद हुआ। शेयर बाजार में जारी गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं। इनमें वित्तीय शेयरों में दबाव, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर गतिरोध जैसे कई प्रमुख कारक शामिल हैं।
सबसे बड़ी गिरावट वित्तीय क्षेत्र में देखने को मिली, खासकर बजाज फाइनेंस और बजाज फिनसर्व के शेयरों में, जिन्होंने क्रमशः 5.5% और 4.5% की गिरावट दर्ज की गई। भले ही बजाज फाइनेंस ने मजबूत तिमाही परिणाम दिए हों, लेकिन माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज सेक्टर में एसेट क्वालिटी को लेकर चिंता जताई जा रही है, जिससे निवेशकों में बेचैनी बढ़ गई है। इसके साथ ही, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे दिग्गज बैंकिंग शेयरों में भी 1% तक की गिरावट आई। इससे पूरे वित्तीय शेयरों के इंडेक्स पर नकारात्मक असर पड़ा।
दूसरी बड़ी वजह भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते को लेकर बनी अनिश्चितता है। अमेरिका द्वारा 1 अगस्त तक किसी स्पष्ट निर्णय की उम्मीद थी, लेकिन फिलहाल वार्ता में कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी है। कृषि और डेयरी उत्पादों पर शुल्क को लेकर दोनों देशों में मतभेद बना हुआ है। भारत का व्यापार प्रतिनिधिमंडल हाल ही में वॉशिंगटन से खाली हाथ लौट आया, जिससे बाजार में चिंता बढ़ गई है कि समझौता निकट भविष्य में संभव नहीं है।
तीसरी वजह लगातार विदेशी निवेशकों की बिकवाली है। केवल पिछले चार कारोबारी दिनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय शेयर बाजार से 11,572 करोड़ रुपए की निकासी की है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार का कहना है कि विदेशी निवेशकों की यह बिकवाली और स्मॉलकैप शेयरों में अत्यधिक मूल्यांकन के कारण बाजार पर दबाव बना रहेगा।
चौथी वजह भारत और ब्रिटेन के बीच हुए बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की घोषणा रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंदन यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए। हालांकि इस समझौते से वस्त्र, ऑटोमोबाइल और शराब जैसे क्षेत्रों को लाभ मिलने की संभावना है, लेकिन बाजार को इससे कोई तत्काल उत्साह नहीं मिला क्योंकि निवेशक अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में प्रगति का इंतजार कर रहे हैं।
अंत में, वैश्विक संकेत भी कमजोर रहे। एशियाई बाजारों में शुक्रवार को बिकवाली देखने को मिली। जापान का निक्केई 0.5% फिसला, जबकि हांगकांग का हैंगसेंग और ऑस्ट्रेलिया का एएसएक्स 200 भी 0.5% नीचे बंद हुआ। चीन के मुख्य सूचकांकों में भी गिरावट देखने को मिली। अमेरिका में हालांकि मजबूत कॉर्पोरेट नतीजों के बाद फ्यूचर्स में मामूली तेजी थी, लेकिन निवेशक आगामी सप्ताह में होने वाली फेडरल रिजर्व की बैठक, अमेरिकी नौकरियों के आंकड़े और एप्पल, अमेज़न, मेटा व माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक कंपनियों के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं, जिससे बाजार में सतर्कता बनी हुई है।
इस गिरावट का व्यापक असर विभिन्न सेक्टरों पर देखने को मिला। निफ्टी ऑटो इंडेक्स में 1.3% की गिरावट रही, इसके अलावा वित्तीय सेवा, धातु, पीएसयू बैंक, आईटी और तेल-गैस जैसे क्षेत्रों में भी 0.7% से 1.3% की गिरावट दर्ज की गई। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर भी असर पड़ा, निफ्टी मिडकैप100 में 1.2% और स्मॉलकैप100 में 1.5% की गिरावट आई।
कुल मिलाकर, शुक्रवार को बाजार में जो गिरावट देखी गई, वह कई घरेलू और वैश्विक कारकों का मिश्रण है। जब तक विदेशी निवेशक वापसी नहीं करते, अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में स्पष्टता नहीं आती और वैश्विक संकेत मजबूत नहीं होते, तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रह सकती है। मौजूदा स्थिति में निवेशकों को सतर्कता के साथ शेयर बाजार में निवेश करना ठीक रहेगा।