Shivani Gupta
26 May 2025
Shivani Gupta
9 May 2025
राजधानी भोपाल में टैक्सी यूनियन द्वारा बुलाई गई हड़ताल का असर बहुत ज्यादा नहीं दिखा। यूनियन ने भले ही 2500 टैक्सियों के रुकने का दावा किया हो, लेकिन सड़कों पर हालात कुछ और नजर आए। जानकारी के अनुसार, सिर्फ 400 से 500 टैक्सियां ही हड़ताल में शामिल हुई हैं। बाकी टैक्सियां या तो सड़क पर दौड़ती नजर आईं या ऐप आधारित सेवाओं के ज़रिए यात्रियों को ले जा रही थीं।
जिन लोगों को टैक्सी नहीं मिल सकी, उन्होंने ई-रिक्शा और खुले ऑटो का सहारा लिया। लेकिन चालकों ने हड़ताल का फायदा उठाते हुए किराए में मनमानी बढ़ोतरी कर दी। भोपाल रेलवे स्टेशन पर जुमराती बाजार से आए एक यात्री मोहम्मद जावेद से सामान्य 40 रुपए के बजाय 80 रुपए वसूल लिए गए।
टैक्सी यूनियन के सदस्य अंबेडकर जयंती पार्क में एकत्रित हुए हैं। यहां दोपहर तक 250 से अधिक टैक्सियां खड़ी हो चुकी थीं। मंच से यूनियन पदाधिकारी सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं और अपनी मांगों को दोहरा रहे हैं। यूनियन ने सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक धरना देने का ऐलान किया है।
स्टेशन, एयरपोर्ट और बस स्टैंड पर टैक्सियों की संख्या कम होने से यात्रियों को दिक्कत हो रही है। उन्हें यात्रा के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। किराया तय करने या ओवरचार्जिंग रोकने के लिए प्रशासन की ओर से कोई खास कार्रवाई नजर नहीं आई।
यूनियन के राष्ट्रीय सचिव नफीसउद्दीन ने बताया कि यह विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहेगा। इसके लिए पुलिस प्रशासन से विधिवत अनुमति ली गई है। उनका कहना है कि यह आंदोलन टैक्सी चालकों के लंबे समय से हो रहे शोषण और उपेक्षा के खिलाफ है।
भोपाल, रानी कमलापति और संत हिरदाराम नगर स्टेशनों पर टैक्सी चालकों से हर फेरे पर 10 रुपए जबरन लिए जा रहे हैं, जबकि निजी वाहनों को फ्री पार्किंग मिलती है। इस नियमहीन वसूली से टैक्सी चालकों को रोज़ आर्थिक नुकसान हो रहा है।
परंपरागत टैक्सियों को एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर पार्किंग की उचित सुविधा नहीं मिलती, जबकि ऐप बेस्ड गाड़ियों को छूट मिलती है।
कुछ निजी वाहन चालक ओला-उबर की बुकिंग रद्द करवा कर यात्रियों को बहला-फुसलाकर बैठा लेते हैं। इससे न सिर्फ टैक्सी चालकों की कमाई प्रभावित होती है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ती है।
ओला, उबर और रैपिडो जैसी सेवाएं बिना कमर्शियल परमिट के वाहन चला रही हैं, जिससे टैक्सी चालकों को नुकसान हो रहा है।
यूनियन की मांग है कि ओला-उबर जैसी कंपनियों को भी कलेक्टर द्वारा तय दरों के दायरे में लाया जाए।
परिवहन विभाग की मशीनें सही से काम नहीं करतीं, जिससे वाहनों को अनावश्यक रूप से फिटनेस से बाहर कर दिया जाता है।
पैनिक बटन के नाम पर 13,000 रुपए तक वसूले जा रहे हैं, जबकि उसकी असल कीमत सिर्फ 4,000 रुपए है।
यूनियन ने सरकार से तुलसी नगर में G या F टाइप का एक शासकीय आवास कार्यालय संचालन के लिए मांगा है।