Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
Shivani Gupta
7 Oct 2025
भोपाल। राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) स्थित हमीदिया अस्पताल में मध्यप्रदेश का पहला ऐसा किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया गया है, जिसमें मरीज और डोनर का ब्लड ग्रुप मेल नहीं खाता था। यह ट्रांसप्लांट आयुष्मान भारत योजना के तहत निशुल्क किया गया, जिससे निजी अस्पतालों में लाखों खर्च करने से मरीज बच गया।
हमीदिया अस्पताल में 43 वर्षीय मरीज (बदला हुआ नाम: मनुज कुमार) को उनकी पत्नी (बदला हुआ नाम: कमला) की किडनी ट्रांसप्लांट की गई, जबकि दोनों का ब्लड ग्रुप अलग था। मरीज का O और डोनर का B। आमतौर पर ऐसे मामलों में अंग अस्वीकार होने का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन GMC की ट्रांसप्लांट टीम ने चुनौती को स्वीकार कर सफलतापूर्वक सर्जरी कर दिखाई।
मरीज के शरीर को नई किडनी स्वीकारने लायक बनाने के लिए एंटीबॉडी को नियंत्रित करने वाली खास दवाओं का इस्तेमाल किया गया। 15 दिन की तैयारी के बाद जब 29 जुलाई की शाम तक शरीर में एंटीबॉडी का स्तर सुरक्षित सीमा में पहुंच गया, तो डॉक्टरों ने 30 जुलाई को सर्जरी की।
इस प्रक्रिया में डोनर की किडनी को लैप्रोस्कोपिक तकनीक से निकाला गया, जिससे ऑपरेशन में कम दर्द होता है और रिकवरी जल्दी होती है। सुबह 9 बजे शुरू हुई सर्जरी दोपहर 2 बजे तक चली।
ABOi ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया निजी अस्पतालों में 12–15 लाख रुपये में होती है, जबकि GMC में यह आयुष्मान भारत योजना के तहत पूरी तरह मुफ्त किया गया। यह सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की तकनीकी क्षमता का प्रमाण है।
GMC में अब तक कुल 10 किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं, लेकिन यह पहला अवसर था जब ब्लड ग्रुप असंगत मरीज को किडनी दी गई। इससे सरकारी मेडिकल सिस्टम में भरोसा और बढ़ा है।