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धर्म डेस्क। करवा चौथ का व्रत सिर्फ विवाहित महिलाओं तक सीमित नहीं है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुंवारी कन्याएं भी यह व्रत रख सकती हैं। अगर किसी लड़की के विवाह में बाधा आ रही हो या वह मनपसंद जीवनसाथी की कामना करती हो तो उसके लिए यह व्रत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि यह व्रत भविष्य में सुखद दांपत्य जीवन का आशीर्वाद देता है।
अविवाहित लड़कियों के लिए करवा चौथ की विधि विवाहित महिलाओं से अलग होती है। उन्हें थाली घुमाने या करवा बदलने की रस्म नहीं करनी होती। 16 श्रृंगार करना भी जरूरी नहीं है। साथ ही उन्हें सुहाग की वस्तुएं उपहार में नहीं लेनी चाहिए।

ज्योतिष के अनुसार, अविवाहित कन्याओं को पूरा दिन बिना पानी और भोजन रहना अनिवार्य नहीं है। वे फलाहार कर सकती हैं, दूध या हल्का भोजन ले सकती हैं। इस व्रत का असली उद्देश्य मन और आत्मा को शुद्ध करना है। इसलिए हल्के रूप में भी व्रत रखना शुभ माना जाता है।
अविवाहित लड़कियों को व्रत के दौरान करवा माता, भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए। पहले करवा माता की कथा सुनी जाती है और फिर पूजा होती है। यह पूजा परिवार में सुख-शांति और रिश्तों में मधुरता लाने वाली मानी जाती है।

विवाहित महिलाएं करवा चौथ का व्रत चांद को अर्घ्य देकर खोलती हैं। लेकिन अविवाहित कन्याओं को तारों को अर्घ्य देना चाहिए। इसके लिए छलनी का उपयोग करना जरूरी नहीं है। वे सीधे तारों को देखकर जल अर्पित कर सकती हैं और व्रत खोल सकती हैं।