Naresh Bhagoria
23 Nov 2025
भोपाल। मध्यप्रदेश में इस साल बलराम जयंती (14 अगस्त) और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (16 अगस्त) के अवसर पर भव्य ‘श्रीकृष्ण पर्व: हलधर महोत्सव एवं लीलाधारी का प्रकटोत्सव’ मनाया जाएगा। संस्कृति विभाग के नेतृत्व में पूरे प्रदेश में 3000 से अधिक मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान और 155 से अधिक प्रमुख स्थलों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। 1000 से अधिक कलाकार भजन, कीर्तन, नृत्य और नाटिकाओं के माध्यम से श्रीकृष्ण और बलराम की लीलाओं को जीवंत करेंगे।
संस्कृति विभाग के संचालक एन पी नामदेव ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण से पहले धरती पर बलराम अवतरित हुए, जिन्हें हलधर के रूप में कृषि संस्कृति का जनक माना जाता है। श्रीकृष्ण की गोपालक भूमिका पशुपालन और संरक्षण की प्रतीक है। कार्यक्रमों में बलराम और श्रीकृष्ण के जीवन, उनके अवदान और लोककल्याणकारी संदेशों को सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के जरिए प्रदर्शित किया जाएगा।
प्रदेश के सभी प्रमुख श्रीकृष्ण मंदिरों में मटकी-फोड़, रासलीला, भजन संध्या और श्रृंगार प्रतियोगिताएं होंगी। उत्कृष्ट श्रृंगार के लिए 1.50 लाख, 1 लाख और 51 हजार रुपए के पुरस्कार भी दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में यह आयोजन भक्ति, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का संगम होगा।
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उज्जैन स्थित सांदीपनि आश्रम में 16 से 18 अगस्त तक तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे, जिनमें श्रीकृष्ण लीला, बांसुरी वादन, लोकनृत्य और भक्ति गायन शामिल हैं। नारायणा धाम में 14 से 18 अगस्त तक देशभर के कलाकार भक्ति संगीत, नृत्य नाटिका और रासलीला प्रस्तुत करेंगे।
जानापाव, अमझेरा, पन्ना, मण्डला, उमरिया और शहडोल जैसे ऐतिहासिक स्थलों पर भी श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन होगा। इन स्थानों पर द्वापर युग की कथाओं जैसे सुदर्शन चक्र प्रदान, रुक्मिणी हरण और हलधर लीला का मंचन किया जाएगा।
जन्माष्टमी के दिन मुख्यमंत्री निवास पर दोपहर 2 बजे से मुख्य कार्यक्रम होगा, जिसमें 1000 से अधिक बाल गोपाल श्रीकृष्ण की वेशभूषा में भाग लेंगे। इस्कॉन मंदिर द्वारा गोपाल कृष्ण का अभिषेक होगा और उपस्थित अतिथियों एवं बाल गोपालों को माखन-मिश्री, लड्डू गोपाल का विग्रह और मोरपंख भेंट किए जाएंगे। कहानियों, संगीत और नृत्य के इस महोत्सव के जरिए मध्यप्रदेश न केवल अपनी भक्ति परंपरा का उत्सव मनाएगा, बल्कि अपनी गहरी सांस्कृतिक जड़ों को भी संजोकर प्रस्तुत करेगा।