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बर्लिन। भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने रूसी तेल खरीद को लेकर उठ रहे सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पश्चिमी देश सिर्फ भारत पर ही उंगली क्यों उठा रहे हैं, जबकि यूरोप के कई देश खुद अमेरिका से रूस के तेल पर छूट मांग रहे हैं। जब जर्मनी खुद ही अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मांग रहा है और ब्रिटेन को पहले ही मिल चुका है, तो भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है। पीयूष गोयल ने यह बात शुक्रवार को जर्मनी में बर्लिन ग्लोबल डायलॉग सम्मेलन के दौरान कही।
इस पर यूके की ट्रेड मंत्री क्रिस ब्रायंट ने कहा कि उनकी छूट केवल रॉसनेफ्ट की एक सहायक कंपनी तक सीमित है। जवाब में पीयूष गोयल ने कहा कि भारत के पास भी रॉसनेफ्ट की एक सहायक कंपनी है, तो फिर भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि भारत अपनी आर्थिक नीतियों में स्वतंत्र है, राष्ट्रीय हित सर्वोपरि रखते हुए चलता है और किसी बाहरी दबाव में समझौता नहीं करेगा।
बता दें, रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका लगातार भारत को प्रतिबंधों की धमकी दे रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड का मानना है कि भारत जैसे देशों पर दबाव डालने से रूस कमजोर पड़ेगा और उसे यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसी बीच, हाल ही में यूरोपीय संघ ने तीन भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं, जबकि अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों रॉसनेफ्ट और लुकोइल पर पाबंदियां लगाई हैं।
इस दौरान पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत हमेशा अपनी स्वतंत्र व्यापार नीति पर चलता आया है और हमारे लिए राष्ट्रीय हित सबसे ऊपर हैं। उन्होंने कहा कि भारत किसी भी तरह की डेडलाइन या दबाव में आकर समझौता नहीं करेगा। गोयल ने साफ शब्दों में कहा कि अगर कोई टैरिफ लगाना चाहता है, तो लगाए हम नए बाजारों की तलाश में हैं, घरेलू मांग को मजबूत बना रहे हैं और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता की दिशा में काम कर रहे हैं।
पीयूष गोयल ने विश्वास जताया कि भारत की आर्थिक नींव बेहद मजबूत है और 1.4 अरब युवाओं की ऊर्जा देश की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने दोहराया कि भारत किसी भी बाहरी दबाव या तय समयसीमा के तहत कोई व्यापार समझौता नहीं करेगा और न ही किसी अल्पकालिक लाभ के लिए अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता करेगा।
बातचीत के दौरान पीयूष गोयल ने भारत की आर्थिक रणनीति भी साझा की, जिसमें अगले 20–25 वर्षों में देश को 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत अपने व्यापार समझौतों को भरोसे और मजबूत रिश्तों के आधार पर करता है, न कि बाहरी दबावों के तहत।