बसिया पंचायत दमोह के सरपंच ने 11 लाख की गाड़ी खरीदी, एंबुलेंस बनाकर ग्रामीणों को कर दी समर्पित
धीरज जॉनसन
दमोह। मध्य प्रदेश के दूरदराज के गांवों में एंबुलेंस नहीं पहुंचने से सड़क पर प्रसव और मरीजों को खाट पर अस्पताल ले जाने जैसी खबरें अक्सर आती रहती हैं। वहीं, दमोह जिला मुख्यालय से करीब 38 किमी दूर स्थित ग्राम बसिया जनसेवा की नई कहानी लिख रहा है। यहां कोई गर्भवती हो या फिर बीमार, उसे एंबुलेंस का इतजार नहीं करना पड़ता। गांव की अपनी एंबुलेंस तैयार रहती है, वह भी नि:शुल्क। यह संभव हो सका है सरपंच बलवान सिंह लोधी की पहल से। साल 2023 में चुनाव जीतने के बाद उन्होंने निजी खर्च से वाहन खरीदकर और उसे एंबुलेंस का रूप दिया। जिले में कहीं भी जाने के लिए एंबुलेंस नि:शुल्क है। यदि किसी मरीज को जबलपुर या अन्य जिलों में जाना हो, तो सिर्फ डीजल का खर्च उठाना पड़ता है। ग्रामीण संतोष सिंह ने बताया कि गांव की आबादी करीब 1800 है। हर माह गांव के लगभग 10-15 मरीज इस वाहन का उपयोग कर दमोह सहित 100 किमी दूरी तक उपचार के लिए जाते हैं।
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ऐसे मिली प्रेरणा
सरपंच बलवान सिंह बताते हैं, उनके गांव के गया सिंह लोधी एक बार गंभीर रूप से बीमार हो गए थे। उन्हें उपचार के लिए जलबपुर ले जाना पड़ा। निजी वाहन से आने-जाने का किराया 6,000 रुपए देना पड़ा, जबकि डीजल सिर्फ 1,500 का लगा। हम 10 हजार लेकर गए थे, किराया देने के बाद हमारे पास 4 हजार रुपए बचे थे, जिसमें उपचार संभव नहीं था। इसके बाद सोचा कि क्यों ने गांव में ही एंबुलेंस तैयार की जाए। इसके बाद मैंने 11 लाख का वाहन किस्तों में खरीदा और उसे एंबुलेंस का रूप दिया गया। अब पहले जैसी समस्या नहीं आ रही है।
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मेरा उद्देश्य जनसेवा
मेरा उद्देश्य जनसेवा है। अगर मेरे छोटे से प्रयास से गांव के मरीजों को समय पर इलाज मिल जाता है, तो इससे बड़ी सेवा और कुछ नहीं हो सकती। आगे भी मेरा प्रयास रहेगा कि गांव के लिए जो संभव हो करूं।
-बलवान सिंह लोधी, सरपंच, ग्राम पंचायत बसिया
मुश्किल आसान हुई
पहले गांव में कोई बीमार होता था, तो अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ता था। एंबुलेंस नहीं मिलने पर किराए का वाहन करना सामान्य परिवारों के लिए मुश्किल होती थी। अब किसी को जरूरत पर पड़े तो 2 मिनट में वाहन घर के सामने खड़ा मिलता है।
-महेन्द्र सिंह, ग्राम बसिया