Manisha Dhanwani
27 Sep 2025
वॉशिंगटन डीसी
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि, 5 अगस्त 2024 को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की लोकतांत्रिक सरकार को गैरकानूनी तरीके से हटाया गया। इसके बाद देश में हालात बिगड़ गए और यूनुस ने इस्लामिक ताकतों के साथ मिलकर सत्ता पर कब्जा कर लिया।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा- “हम यूनुस के अवैध शासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हसीना को देश छोड़ना पड़ा और तभी से अल्पसंख्यकों पर हमले तेजी से बढ़ गए हैं।”
बांग्लादेश हिंदू-बौद्ध-क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2024 से दिसंबर 2024 के बीच देश में 32 हिंदुओं की हत्या, 13 रेप और उत्पीड़न के मामले तथा 133 मंदिरों पर हमले हुए।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लाखों लोग देश छोड़ने को मजबूर हैं। खासकर हिंदू समुदाय को हिंसा का सबसे ज्यादा निशाना बनाया गया है।
विरोध कर रहे लोगों ने हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई की मांग की। उनका आरोप है कि यूनुस ने उन्हें गैरकानूनी रूप से जेल में बंद कर रखा है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है और यह स्थिति बांग्लादेश को चरमपंथ की ओर धकेल रही है।
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने यूनुस पर आरोप लगाया कि वे बांग्लादेश को “तालिबानी देश, एक आतंकवादी राष्ट्र” बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “आज हम संयुक्त राष्ट्र के सामने यूनुस के खिलाफ प्रदर्शन करने आए हैं, क्योंकि वे हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कर रहे हैं।”
इसी बीच, मोहम्मद यूनुस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में संबोधित करते हुए कहा कि बांग्लादेश अब “विकास की यात्रा पर है”। उन्होंने अपने भाषण में प्रवासी मजदूरों के योगदान को सराहा और कहा कि आने वाले चुनावों से देश में लोकतांत्रिक माहौल मजबूत होगा। यूनुस ने यह भी दावा किया कि, उनका उद्देश्य SAARC देशों के बीच सहयोग और निवेश को बढ़ावा देना है।