Mithilesh Yadav
27 Sep 2025
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राजधानी में हेलमेट जागरूकता फैलाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। इस मौके पर उन्होंने युवाओं को 2100 हेलमेट मुफ्त में बांटे और सड़क सुरक्षा के लिए जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। लेकिन इस अभियान के दौरान कुछ ऐसे नजारे सामने आए, जिन्होंने पूरे आयोजन पर सवाल खड़े कर दिए।
कार्यक्रम में पुलिस की मौजूदगी तो रही, लेकिन उनकी भूमिका पर भी सवाल उठे। सड़क पर जहां बिना हेलमेट के बाइकर्स फर्राटे भरते दिखे, वहीं पुलिस सिर्फ मूकदर्शक बनी रही। मंच पर सुरक्षा का संदेश गूंज रहा था, लेकिन सड़क पर उसका असर नजर नहीं आया।
सीएम के पहुंचने से पहले ही कई लोग कार्यक्रम स्थल पर आए और हेलमेट लेने के बाद बिना रैली में शामिल हुए गायब हो गए। कुछ तो ऐसे दिखे जैसे कह रहे हों- “काम हो गया, अब निकलो भाई!”। नतीजा ये हुआ कि रैली की जगह माहौल मुफ्त हेलमेट मेले जैसा लगने लगा।
लोगों की लापरवाही और पुलिस की चुप्पी ने इस अभियान को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया। आयोजन का मकसद लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति संवेदनशील बनाना था, लेकिन यह एक “जागरूकता अभियान से ज्यादा मुफ्त हेलमेट बांटने का कार्यक्रम” बनकर रह गया।
भोपाल में सड़क सुरक्षा को लेकर पहल तो सराहनीय है, लेकिन लोगों की सोच और पुलिस की गंभीरता में बदलाव लाना बेहद जरूरी है। सवाल यही उठता है- क्या यह कार्यक्रम सड़क सुरक्षा के लिए था या फिर सिर्फ एक दिखावटी इवेंट?