Shivani Gupta
25 Sep 2025
Mithilesh Yadav
24 Sep 2025
Manisha Dhanwani
22 Sep 2025
इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने अपनी स्कूली किताबों में मई 2025 में भारत के साथ हुए चार दिन के सैन्य संघर्ष को लेकर नया सिलेबस शामिल किया है। इन किताबों में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। इसमें भारत को युद्ध का अपराधी और पाकिस्तान को विजेता दिखाने की कोशिश की गई है। भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय ने इस दुष्प्रचार की पूरी पोल खोल दी है और युद्ध के वास्तविक तथ्यों को सबूतों के साथ साझा किया है।
पाकिस्तानी किताबों में दावा किया गया है कि, भारत ने 6-7 मई 2025 को बिना किसी कारण पाकिस्तान पर हमला किया। उनका कहना है कि, भारत ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का झूठा आरोप लगाया।
सचाई: 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 नागरिकों की हत्या की थी। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया और लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया। भारतीय सेना ने सिविल ठिकानों को निशाना नहीं बनाया।
पाकिस्तानी किताब में यह भी लिखा गया कि, पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में सिर्फ भारतीय सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचाया।
सच्चाई: पाकिस्तान ने अमृतसर, जम्मू, श्रीनगर और अन्य नागरिक इलाकों पर भी ड्रोन हमले किए। भारत ने मुरीदके, नूर खान, रफीकी, सरगोधा, चकला और रहीम यार खान हवाई ठिकानों पर सटीक हमले कर पाकिस्तान की HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम और फाइटर जेट्स को नष्ट किया।
पाकिस्तान की किताब में यह दावा भी किया गया कि भारी नुकसान झेलने के बाद भारत को युद्धविराम की गुहार लगानी पड़ी।
सच्चाई: 10 मई को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने भारत को युद्धविराम की बात कही। पीएम मोदी ने स्पष्ट कहा कि कोई मध्यस्थता नहीं होगी। भारत ने खुद पाकिस्तान के डीजीएमओ के साथ वार्ता कर युद्धविराम सुनिश्चित किया।
पाकिस्तानी किताब में लिखा गया कि जनरल आसिम मुनीर को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए फील्ड मार्शल बनाया गया।
सच्चाई: मुनीर का पदोन्नति युद्ध में जीत से ज्यादा इमेज सुधार और सेना की सत्ता को मजबूत करने के लिए दी गई। यह राजनीतिक संदेश के रूप में पेश किया गया।
भारतीय सेना ने 12 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऑपरेशन सिंदूर की असली जानकारी दी। सैटेलाइट तस्वीरों और वीडियो से दिखाया गया कि भारतीय हवाई हमले केवल आतंकियों और आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाते थे, नागरिक और सैन्य ढांचे सुरक्षित रहे।
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, पाकिस्तान की यह चाल कोई नई नहीं है। उसने 1948, 1965, 1971 और कारगिल युद्ध में भी हार को जीत के रूप में पेश किया था। सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया के युग में पाकिस्तान का यह दुष्प्रचार अब आसान नहीं होगा।