Manisha Dhanwani
27 Sep 2025
बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली में जुमे की नमाज के बाद भड़की हिंसा के मामले में पुलिस ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा समेत 8 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। पुलिस ने मौलाना को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा है। इसके अलावा 39 लोगों को हिरासत में लिया गया है और 2,000 अज्ञात लोगों के खिलाफ 10 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। हिंसा में कुल 22 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।
शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद मौलाना तौकीर रजा की अपील पर बड़ी संख्या में लोग सड़क पर उतरे। ये लोग ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे पोस्टर लेकर प्रदर्शन करने निकले थे। प्रशासन ने पहले ही प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी थी और मौलाना ने अंतिम समय में प्रदर्शन टालने की घोषणा कर दी थी। इसके बावजूद लोग अल हजरत दरगाह और रजा के घर के पास जमा हो गए। पुलिस ने भीड़ को रोकने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारियों ने पथराव शुरू कर दिया। जवाब में पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
बरेली के एसएसपी ने बताया कि हिंसा को लेकर अब तक 10 एफआईआर दर्ज की गई हैं—कोतवाली थाने में 5, बरादरी में 2, प्रेमनगर में 1 और कैंट में 1। इनमें से 7 मुकदमों में मौलाना तौकीर रजा का नाम शामिल है। पुलिस ने 8 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और 39 को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। साथ ही 2,000 अज्ञात उपद्रवियों पर केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने कहा कि वीडियो फुटेज और तस्वीरों के आधार पर अन्य आरोपियों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, मौलाना भूल गया कि शासन किसका है। वो मानता था कि धमकी देंगे और जाम कर देंगे। हमने कहा कि जाम नहीं होगा, कर्फ्यू नहीं लगेगा। ऐसा सबक सिखाएंगे कि आने वाली पीढ़ियां दंगा करना भूल जाएंगी। सीएम ने साफ कहा कि कानून हाथ में लेने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
बरेली के जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने कहा कि पुलिस ने मौके पर सख्त कार्रवाई कर स्थिति को नियंत्रण में ले लिया है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें। डीआईजी अजय कुमार साहनी ने बताया कि सभी उपद्रवियों की पहचान वीडियो और फोटो के जरिए की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बयान जारी कर कहा कि बरेली की हिंसा एक पूर्वनियोजित साजिश का हिस्सा थी। सरकार के अनुसार, इस घटना के पीछे पश्चिमी यूपी में निवेश और औद्योगिक माहौल को प्रभावित करने की कोशिश की गई।
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