Aniruddh Singh
4 Dec 2025
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी और दबाव के बावजूद एप्पल ने भारत सरकार को आश्वस्त किया है कि वह देश में अपने निवेश और उत्पादन विस्तार की योजनाओं को बढ़े हुए टैरिफ के बाद भी नहीं रोकेगा। कंपनी ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत उसके वैश्विक विनिर्माण नेटवर्क का अहम हिस्सा है। यहां पर विस्तार उसी गति से जारी रहेगा जैसा पहले तय किया गया था। एप्पल भारत में अपनी उत्पादन क्षमता को काफी तेजी से बढ़ा रहा है। एप्पल वर्तमान में भारत में सालाना चार करोड़ से अधिक आईफोन का उत्पादन कॉन्ट्रैक्ट मैनुफैक्चर्स के माध्यम से करता है, वहीं आने वाले समय में इसे बढ़ाकर करीब छह करोड़ यूनिट करने का लक्ष्य है। इसके लिए कंपनी करीब 2.5 बिलियन डॉलर का निवेश कर रही है। खास बात यह है कि इस अतिरिक्त उत्पादन का बड़ा हिस्सा निर्यात के लिए होगा, विशेषकर अमेरिका जैसे बड़े बाजार में।
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सूत्रों के अनुसार एप्पल ने न केवल भारत सरकार को यह भरोसा दिया है कि विस्तार योजनाएं जारी रहेंगी बल्कि उसने यहां आईफोन 17 के असेंबलिंग की शुरुआत भी कर दी है। यह पहला मौका है, जब एप्पल अपनी नवीनतम सीरीज के आईफोन का उत्पादन लॉन्च से पहले भारत में कर रहा है। एप्पल की इस रणनीति को उसके उत्पादन साझेदार भी मजबूत कर रहे हैं। ताइवान की बड़ी सप्लाई चेन कंपनी फॉक्सकॉन और टाटा समूह, जिसने विस्ट्रॉन की फैक्ट्रियों और पिगाट्रॉन के संचालन में हिस्सेदारी हासिल की है, दोनों ही अपने विनिर्माण संयंत्रों का बड़े पैमाने पर विस्तार कर रहे हैं। भारत सरकार के अधिकारियों का कहना है कि एप्पल भारत के उत्पादन माहौल को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ मानता है। यहाँ की फैक्ट्रियां, इंफ्रास्ट्रक्चर और उत्पादन गुणवत्ता कंपनी को आकर्षित कर रही है।
डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही भारत में आईफोन निर्माण को लेकर आपत्ति जताई हो, लेकिन हकीकत यह है कि फिलहाल स्मार्टफोन और कंप्यूटर अमेरिकी टैरिफ की नई सूची में शामिल नहीं हैं। इसके बावजूद ट्रंप ने सार्वजनिक मंचों पर एप्पल के सीईओ टिम कुक से नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि, मैं सुन रहा हूं कि आप भारत में बड़े पैमाने पर विनिर्माण बढ़ा रहे हैं। मैं यह नहीं चाहता। आपको अमेरिका में उत्पादन बढ़ाना चाहिए। लेकिन टिम कुक का रुख बिल्कुल अलग है। 31 जुलाई को कंपनी के तिमाही नतीजों के बाद एनालिस्ट कॉल में उन्होंने कहा कि पिछले तिमाही में अमेरिका में बिके ज्यादातर आईफोन भारत में बने थे। पहले जहां चीन आईफोन उत्पादन का प्रमुख केंद्र हुआ करता था, वहीं अब वहां का उत्पादन मुख्यतः गैर-अमेरिकी बाजारों के लिए हो रहा है।
भारत अब न केवल उत्पादन केंद्र बल्कि एक बड़ा बाजार भी बन गया है। पिछले साल एप्पल ने भारत से 17 बिलियन डॉलर मूल्य के आईफोन निर्यात किए है। साथ ही घरेलू बाजार में भी कंपनी की हिस्सेदारी अब डबल-डिजिट में पहुंच गई है। टिम कुक ने कहा भारत में कंपनी की आय लगातार रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ रही है और इसकी मुख्य वजह आईफोन की मजबूत मांग है। एप्पल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत उसके लिए भविष्य की रणनीति का अहम हिस्सा है। चाहे अमेरिका कितना भी दबाव क्यों न डाले, कंपनी यहां अपने उत्पादन और निवेश योजनाओं को जारी रखेगी। यह भारत की वैश्विक विनिर्माण शक्ति के रूप में उभरती भूमिका और एप्पल की दीर्घकालिक रणनीति का बड़ा संकेत है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी और दबाव के बावजूद एप्पल ने भारत सरकार को आश्वस्त किया है कि वह देश में अपने निवेश और उत्पादन विस्तार की योजनाओं को नहीं रोकेगा।