Manisha Dhanwani
4 Nov 2025
Peoples Reporter
4 Nov 2025
मुंबई की लोकल ट्रेनों में 11 जुलाई 2006 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने इस केस में दोषी करार दिए गए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ आरोप साबित करने में असफल रहा और पेश किए गए सबूत दोष सिद्धि के लिए निर्णायक नहीं थे।
यह फैसला हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की स्पेशल बेंच ने सुनाया। यह मामला 19 साल तक अदालतों में लंबित रहा। 2015 में मकोका कोर्ट ने इस केस में 5 आरोपियों को फांसी, 7 को उम्रकैद और एक को बरी किया था। इसके खिलाफ सभी आरोपियों ने 2016 में हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जिस पर अब फैसला आया है।
11 जुलाई 2006 को शाम 6:24 से 6:35 के बीच मुंबई की लोकल ट्रेनों में 7 बम धमाके हुए थे। धमाके खार, बांद्रा, माहिम, जोगेश्वरी, बोरीवली, माटुंगा और मीरा रोड जैसे स्टेशनों पर हुए थे। ये बम प्रेशर कुकर, आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट और कीलों से बनाए गए थे, जिन्हें ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बों में टाइमर से सेट कर विस्फोट कराया गया था।
धमाकों में 180 लोगों की मौत और 824 से अधिक यात्री घायल हुए थे। यह हमला देश की सबसे व्यस्त लोकल ट्रांसपोर्ट प्रणाली पर हुआ था, जिसने पूरे देश को हिला दिया था।
मुंबई एटीएस ने जांच में दावा किया था कि इन धमाकों की साजिश लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी आजम चीमा ने रची थी। पुलिस के मुताबिक पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित ट्रेनिंग कैंप में सिमी और लश्कर के लोगों को बम बनाने की ट्रेनिंग दी गई थी। केस में 30 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से 13 पाकिस्तानी नागरिक थे।
2015 में स्पेशल मकोका कोर्ट ने 5 आरोपियों को फांसी, 7 को उम्रकैद दी थी। बाद में हाईकोर्ट में दायर अपील के बाद यह मामला लंबा खिंचता रहा। कोर्ट ने पाया कि जबरन इकबालिया बयान, परिस्थितिजन्य साक्ष्य और अभियोजन की जांच प्रक्रिया में गंभीर खामियां थीं।
इस फैसले को लेकर कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारतीय न्याय व्यवस्था में प्रक्रिया की मजबूती को दर्शाता है, लेकिन साथ ही यह भी बताता है कि जांच एजेंसियों की गुणवत्ता और सबूतों की वैधता को लेकर सुधार की जरूरत है। अब सभी आरोपियों को 19 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद राहत मिली है, जबकि असली दोषियों का अब भी कोई ठोस सुराग नहीं है।