Shivani Gupta
2 Dec 2025
Shivani Gupta
1 Dec 2025
Manisha Dhanwani
1 Dec 2025
टेक्सास। स्पेसएक्स ने कई नाकामियों के बाद आखिरकार स्टारशिप रॉकेट का 10वां उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। 27 अगस्त को टेक्सास में स्थित स्पेसएक्स के स्टारबेस लॉन्च साइट से सुबह 5 बजे लॉन्च हुए इस रॉकेट ने करीब 1 घंटा 6 मिनट का सफर किया और फिर हिंद महासागर में सुरक्षित स्प्लैशडाउन किया।
रॉकेट ने उड़ान के दौरान सभी तय उद्देश्यों को पूरा किया। इसमें स्टारलिंक सिम्युलेटर सैटेलाइट छोड़े गए जो असली सैटेलाइट्स के डमी वर्जन हैं। लॉन्च के बाद स्टारशिप ने हॉट स्टेजिंग की और सुपर हैवी बूस्टर से सही समय पर अलग हुआ। बूस्टर को मेक्सिको की खाड़ी में नियंत्रित तरीके से उतारा गया। टेस्ट के दौरान इंजन रीस्टार्ट, फ्लिप और बूस्टबैक बर्न जैसे कठिन प्रयोग भी सफल रहे।
यह टेस्ट रॉकेट की रीयूजेबिलिटी (बार-बार इस्तेमाल की क्षमता) परखने के लिए किया गया है। स्पेसएक्स भविष्य में इसे लॉन्च टावर से पकड़कर वापस इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है। इस दौरान ऊपरी हिस्सा लगभग कक्षा की गति तक पहुंचा और रिइंट्री के समय थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम का भी परीक्षण हुआ।
यह रॉकेट 403 फीट ऊंचा है, यानी स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी बड़ा। इसमें ऊपर का हिस्सा स्टारशिप और नीचे सुपर हैवी बूस्टर है। पूरा रॉकेट स्टेनलेस स्टील से बना है और इसे बार-बार उड़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह अब तक का दुनिया का सबसे ताकतवर रॉकेट है।
स्टारशिप रॉकेट की 24 अगस्त को लॉन्चपैड पर लिक्विड ऑक्सीजन का लीक मिलने पर उड़ान टाल दी गई थी, जिसके बाद 25 अगस्त को भी इसे उड़ान की जगह सिर्फ रीहर्सल फ्लाइट में बदला गया फिर 26 अगस्त को भी तकनीकी कारणों से लॉन्च स्थगित करना पड़ा।
नासा 2027 में चंद्रमा पर इंसानों को भेजने के लिए इसी स्टारशिप का इस्तेमाल करेगा। आर्टेमिस प्रोग्राम के तहत इसका अहम रोल रहेगा। एलन मस्क का सपना है कि आने वाले समय में इसी रॉकेट से इंसानों को मंगल ग्रह तक भेजा जाए। साथ ही, धरती पर प्वाइंट-टू-प्वाइंट तेज यात्रा (एक जगह से दूसरी जगह कुछ ही मिनटों में सफर) भी संभव हो सकेगी।