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संजय दुबे-उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पार्क एरिया में करीब 200 बाघ, हाथी, तेंदुआ, भालू, हिरण सहित कई प्रकार के पशु-पक्षी मौजूद हैं। इन्हें गर्मी के मौसम में पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इससे निजात दिलाने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व देसी तकनीक अपनाते हुए एक नवाचार करने जा रहा है। प्रदेश में पहला नवाचार है, जब पेड़ों के पास गड्ढे खोदकर देसी टैंक बनाए जाएंगे।
इसके लिए कुछ ऐसे पेड़- पौधों को चिन्हित किया जा रहा है, जिनके माध्यम से देसी टैंक बनाकर पानी की व्यवस्था होगी। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा ने बताया कि बरगद, जामुन जैसे पेड़ों के आसपास मौजूद नालों में यदि कुछ फीट खुदाई की जाए तो यहां लंबे समय तक पानी जम जाता है।
वर्मा ने बताया कि 5 से 8 फीट तक गड्ढा बनाने पर 100 परसेंट पानी निकल आता है और इसमें ठंडक भी अच्छी रहती है। इन पेड़ों के नीचे गड्ढे बनाने के बाद बाकायदा रैंप भी बनाए जाएंगे, ताकि वन्य प्राणी आसानी नीचे उतर सकें।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 1536 वर्ग किमी एरिया में फैला है। यहां करीब 8 छोटी-बड़ी नदियां हैं। इनमें चरणगंगा, उमरार, जनाढ, भदार, हलफल और सोन नदी शामिल हैं। इसके अलावा 15 तालाब और 284 के लगभग पोखरनुमा जलकुंड भी हैं।
उपसंचालक के अनुसार, 9 रेंज की 139 बीट में गश्ती दल वन्यजीवों के साथ ही पूरी गर्मी जल स्रोतों की निगरानी भी करेगा। पानी सूखने पर 3 टैंकर के माध्यम से 72 घंटे के अंदर इन्हें रिचार्ज किया जाएगा।
रेंज ऑफिसर को अपनेअ पने एरिया में जगह को चिह्नित करने के लिए भी कह दिया है। जंगल में 2 से 3 किलोमीटर के दायरे में पानी होना चाहिए, इसलिए सूखे नदी और नालों के आसपास ही सौसर बनाए जाएंगे। - पीके वर्मा, उपसंचालक, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व