Shivani Gupta
13 Oct 2025
नई दिल्ली। सितंबर 2025 में भारत की थोक महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में थोक महंगाई घटकर 0.13% रह गई, जो अगस्त 2025 में 0.52% थी। यह गिरावट यह दर्शाती है कि देश में थोक स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं के दामों पर दबाव कम हो रहा है, जिससे मुद्रास्फीति नियंत्रित दिशा में बढ़ रही है। यह विकास न केवल उत्पादकों बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी राहत की खबर है। सरकार के अनुसार, सितंबर में हल्की सकारात्मक थोक महंगाई दर मुख्यतः कुछ विनिर्माण क्षेत्रों में कीमतों में वृद्धि के कारण रही-जैसे खाद्य उत्पाद, वस्त्र, गैर-खाद्य वस्तुएं, परिवहन उपकरण तथा अन्य विनिर्माण क्षेत्र। हालांकि इन श्रेणियों में कुछ वृद्धि हुई, लेकिन समग्र स्तर पर अन्य क्षेत्रों में कीमतों में नरमी ने कुल महंगाई दर को बहुत नीचे ला दिया।
ईंधन और ऊर्जा समूह में हल्की गिरावट दर्ज की गई। अगस्त में इसका सूचकांक 143.6 था जो सितंबर में घटकर 143.4 रह गया। इस गिरावट के प्रमुख कारण रहे खनिज तेलों की कीमतों में 0.54% की कमी और कोयले की कीमतों में 0.15% की कमी। हालांकि, बिजली की दरों में 1.20% की वृद्धि देखने को मिली, जिससे इस श्रेणी का कुल प्रदर्शन मिश्रित रहा। यह परिघटना दर्शाती है कि ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक कीमतों की अस्थिरता का भारत के थोक मूल्य सूचकांक पर अब भी आंशिक प्रभाव बना हुआ है। विनिर्माण क्षेत्र में 0.21% की हल्की वृद्धि दर्ज की गई, जो अगस्त के सूचकांक 144.9 से बढ़कर सितंबर में 145.2 हो गया।
22 प्रमुख औद्योगिक समूहों में से 10 समूहों में दाम बढ़े-इनमें खाद्य उत्पाद, वस्त्र, विद्युत उपकरण और विविध निर्माण शामिल हैं। वहीं, औषधियां, रबर व प्लास्टिक उत्पाद, मोटर वाहन और चमड़े के सामान जैसे 6 समूहों में दाम घटे। शेष 6 समूहों में कीमतें स्थिर रहीं। यह दर्शाता है कि औद्योगिक महंगाई अब नियंत्रित दायरे में है और मांग-आपूर्ति का संतुलन धीरे-धीरे स्थिर हो रहा है। खाद्य वस्तुओं का सूचकांक लगातार गिरावट दिखा रहा है। खाद्य सूचकांक अगस्त के 193.5 से घटकर सितंबर में यह 192.0 पर आ गया। खाद्य महंगाई दर अब 1.99% रही, जबकि अगस्त में यह 0.21% थी। यह इंगित करता है कि खाद्यान्न कीमतों में कमी आई है।
बेहतर फसल उत्पादन, सरकारी भंडार नीति और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार के कारण खाद्यान्न की कीमतों में कमी आई है। खाद्य कीमतों में गिरावट न केवल थोक बल्कि खुदरा बाजार में भी राहत का संकेत है। खुदरा महंगाई ने भी थोक प्रवृत्ति का अनुसरण किया। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अनुसार, खुदरा महंगाई सितंबर में घटकर 1.5% रह गई-यह जून 2017 के बाद का सबसे निचला स्तर है। लगातार दूसरे महीने महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लक्ष्य दायरे 2%–6% से नीचे रही है। यह गिरावट मुख्यतः खाद्य वस्तुओं के दामों में कमी की वजह से आई है।
थोक और खुदरा दोनों स्तरों पर यह गिरावट इस बात का संकेत है कि भारत की अर्थव्यवस्था में मूल्य स्थिरता लौट रही है। वैश्विक तेल कीमतों में नरमी, बेहतर कृषि उत्पादन, और आपूर्ति शृंखला में सुधार ने इस विजयी सिलसिले को संभव बनाया है। इससे न केवल उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि सरकार और आरबीआई के लिए मौद्रिक नीति निर्धारण में भी अधिक लचीलापन आएगा। कुल मिलाकर, सितंबर 2025 के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था फिलहाल महंगाई नियंत्रण और विकास के संतुलित मार्ग पर अग्रसर है।