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मॉस्को। रूस और अमेरिका के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ता नजर आ रहा है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि, अगर हम पर अमेरिकी टॉमहॉक मिसाइलों से हमला किया गया तो इसका जवाब कुचल डालने वाला होगा। पुतिन का ये बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। हालांकि, पुतिन ने ये भी कहा कि, टकराव या किसी भी विवाद में बातचीत हमेशा बेहतर होती है।
रूस और अमेरिका के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को साफ चेतावनी देते हुए कहा कि, अगर रूस पर अमेरिकी टॉमहॉक मिसाइलों से हमला किया गया, तो जवाब कुचल डालने वाला और चौंकाने वाला होगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लूकोइल पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। इन प्रतिबंधों का मकसद रूस की अर्थव्यवस्था और उसकी यूक्रेन युद्ध में मिल रही फंडिंग को कमजोर करना है।
पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, बातचीत हमेशा टकराव से बेहतर होती है, लेकिन अगर रूस की संप्रभुता को चुनौती दी गई तो हमारा जवाब निर्णायक होगा। उन्होंने कहा कि, कोई भी स्वाभिमानी देश बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकता, खासकर रूस जैसा देश। पुतिन ने संकेत दिया कि, रूस और अमेरिका के बीच कूटनीतिक बातचीत के रास्ते पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं, लेकिन हाल के अमेरिकी फैसलों ने दोनों देशों के रिश्तों को एक बार फिर तनाव के कगार पर ला दिया है।
पुतिन ने कहा कि, रूसी तेल पर अमेरिकी प्रतिबंध न सिर्फ रूस, बल्कि पूरी दुनिया के लिए नुकसानदायक होंगे। प्रतिबंधों से तेल सप्लाई घटेगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ेंगे। इसका असर अमेरिका और यूरोप दोनों पर पड़ेगा। रूसी कंपनी रोसनेफ्ट और लूकोइल मिलकर रूस के आधे से ज्यादा कच्चे तेल का निर्यात करती हैं। अब इन दोनों कंपनियों और उनसे जुड़ी 36 सहायक कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं।
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कहा कि, यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि रूस जंग रोकने को लेकर गंभीर नहीं है। इन प्रतिबंधों के तहत अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में आने वाली सभी संपत्तियों और लेन-देन को ब्लॉक कर दिया जाएगा।
रूस के पूर्व राष्ट्रपति और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने अमेरिका के कदम को रूस के खिलाफ युद्ध की कार्रवाई (Act of War) बताया। उन्होंने कहा कि, अमेरिका अब पूरी तरह से रूस का दुश्मन बन चुका है। ट्रंप प्रशासन शांति की नहीं, जंग की राह पर है।
मेदवेदेव ने आगे कहा कि, अब रूस यूक्रेन पर किसी तरह की बातचीत के बजाय सैन्य जवाब पर ध्यान देगा। उनका बयान पुतिन की तुलना में कहीं ज्यादा सख्त और आक्रामक माना जा रहा है।
22 अक्टूबर को प्रस्तावित ट्रंप-पुतिन बुडापेस्ट शिखर सम्मेलन रद्द कर दिया गया था। इसके कुछ घंटे बाद ही अमेरिका ने रूस की तेल कंपनियों पर प्रतिबंधों का ऐलान कर दिया। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि, ये कदम रूस को यूक्रेन पर हमले रोकने के लिए दबाव में लाने के लिए उठाया गया है। पुतिन ने कहा कि, उन्होंने खुद 16 अक्टूबर को फोन पर ट्रंप से इस बैठक को लेकर बात की थी। उनका मानना है कि बैठक रद्द नहीं बल्कि स्थगित हुई ह और अभी भी बातचीत की गुंजाइश बनी हुई है।
अमेरिकी टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें लंबी दूरी तक हमला करने में सक्षम हैं। इनकी रेंज लगभग 1,600 किलोमीटर होती है। यूक्रेन लंबे समय से इन मिसाइलों को पाने की कोशिश कर रहा है ताकि रूसी क्षेत्र के भीतर हमले किए जा सकें। पुतिन ने इसे सीधा उकसावा बताया है और कहा है कि अगर ऐसा हुआ, तो प्रतिक्रिया असाधारण होगी।
अमेरिका के इन नए प्रतिबंधों का असर भारत पर भी पड़ सकता है। भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज और रूस की रोसनेफ्ट के बीच 25 साल का कच्चे तेल का आयात समझौता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत फिलहाल रूस से अपनी कुल तेल जरूरत का 34% हिस्सा खरीदता है।
ट्रंप ने हाल ही में दावा किया था कि, पीएम मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि, भारत रूस से तेल खरीद घटाएगा या बंद करेगा। हालांकि, सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत अपने ऊर्जा स्रोतों को विविध करने की रणनीति पर काम कर रहा है। जिसमें इराक, सऊदी अरब, अमेरिका और अफ्रीकी देशों से तेल आयात बढ़ाना शामिल है।