Mithilesh Yadav
24 Oct 2025
बुरहानपुर। गुरुवार को फसल बीमा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग को लेकर किसानों का आंदोलन उग्र हो गया। जिला मुख्यालय पर सैकड़ों किसान एकत्र हुए और अर्धनग्न होकर जंगी रैली निकाली। आंदोलन के दौरान कलेक्टर कार्यालय में हंगामा भी हुआ। इसके बाद पुलिस ने 7 नामजद और 70 से 80 अज्ञात आंदोलनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
किसानों के आंदोलन के दौरान कलेक्टर कार्यालय परिसर में भारी भीड़ जमा हो गई। इस दौरान नारेबाजी और हंगामा हुआ। लालबाग थाना पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 7 नामजद और 70-80 अज्ञात आंदोलनकारियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 190, 132, 223 तथा सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि आंदोलन के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई थी।
गुरुवार को भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में किसानों ने विशाल विरोध प्रदर्शन किया। कई किसान अर्धनग्न होकर रैली के रूप में शहर की सड़कों पर उतरे। आंदोलन को कांग्रेस नेताओं ने भी समर्थन दिया और वे भी अर्धनग्न होकर किसानों के साथ रैली में शामिल हुए।
रैली बैरियर फाटे से शुरू होकर बुरहानपुर कलेक्टर कार्यालय तक पहुंची। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपा और कहा कि जिले के किसानों को केले की फसल का बीमा लाभ नहीं मिल रहा, जबकि महाराष्ट्र सीमा से मात्र 10 किलोमीटर दूर रावेर में किसानों को यह लाभ मिल रहा है।
बुरहानपुर जिले में केला एक जिला–एक उत्पाद (ODOP) के रूप में चिन्हित है। बावजूद इसके केला फसल पर बीमा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। किसानों का कहना है कि हर साल प्राकृतिक आपदा से फसल को भारी नुकसान होता है, लेकिन मुआवजा इतना कम होता है कि लागत भी नहीं निकल पाती।
किसानों का आरोप है कि 2018 से केला फसल का बीमा बंद कर दिया गया है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
खकनार के किसान किशोर वासनकर इस आंदोलन का प्रतीक बन गए हैं। वे पिछले कुछ दिनों से अर्धनग्न रहकर विरोध कर रहे हैं। दीपावली से दो दिन पहले उन्होंने शर्ट और चप्पल उतार दी थी। वासनकर ने कहा- जब तक किसानों को केले की फसल पर बीमा और एमएसपी नहीं मिलता, तब तक मैं कपड़े और चप्पल नहीं पहनूंगा। उनका यह तरीका जिले के किसानों के बीच चर्चा का विषय बन गया है और कई किसान उनके समर्थन में उतर आए हैं।
केला फसल पर बीमा लाभ की मांग कोई नई नहीं है। खंडवा संसदीय सीट से सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल यह मुद्दा लोकसभा में दो बार उठा चुके हैं, वहीं नेपानगर विधायक मंजू दादू ने भी इसे मप्र विधानसभा में एक बार रखा था। बावजूद इसके अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
किसानों का कहना है कि जब भी तेज बारिश, आंधी या सीएमवी वायरस का प्रकोप होता है, केले की फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। राजस्व विभाग द्वारा आरबीसी नियम 6(4) के तहत जो मुआवजा दिया जाता है, वह फसल की लागत भी नहीं निकाल पाता। किसानों की मांग है कि मौसम आधारित फसल बीमा योजना लागू की जाए ताकि उन्हें वास्तविक नुकसान की भरपाई मिल सके।
किसान नेता एमएस कुशवाह ने कहा- किसान वर्षों से फसल बीमा की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं। यह आंदोलन अब जिले से प्रदेश स्तर तक जाएगा।
बुरहानपुर CSP गौरव पाटिल ने कहा- आंदोलन के दौरान कलेक्टर कार्यालय परिसर में हंगामा हुआ। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने आवश्यक कार्रवाई की है। जिन लोगों ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।