पल्लवी वाघेला
भोपाल। छठी में पढ़ने वाली बच्ची का क्लास में मन नहीं लगता था। टीचर को लगा उसकी पढ़ने में दिलचस्पी नहीं है। लेकिन बीते माह 9 से 12 सितंबर के बीच एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में टीचर्स को मनोविज्ञान के संबंध में खास ट्रेनिंग दी गई, जिसने बड़ा बदलाव आया। इसके बाद टीचर ने बच्ची से संवाद का तरीका बदला छात्रा ने बताया कि मैं हिंदी मीडियम से हूं, आप अंग्रेजी का ज्यादा इस्तेमाल करती हैं तो मुझे समझ में नहीं आता।
यह जानने के बाद टीचर ने पढ़ाने का तरीका बदल दिया। छठवीं कक्षा की इस छात्रा की तरह ही एकलव्य स्कूल में यह ट्रेनिंग खत्म होने के 10 दिन के भीतर शिक्षकों ने आठ बच्चों को ट्रेस किया, जो किसी न किसी रूप में मानसिक तनाव से गुजर रहे थे। इनमें दो बच्चे तो ऐसे हैं जो पियर प्रेशर और उम्र के साथ होने वाले हार्मोनल परिवर्तन से गहरे अवसाद में चले गए थे। इनमें से एक बच्चा तो हफ्ते में मात्र सात घंटे ही सोया। इन सभी बच्चों को काउंसलिंग दी जा रही है।
चार दिन का प्रशिक्षण
शिक्षकों को यह प्रशिक्षण निवसीड-बचपन संस्था द्वारा दिया गया। मुख्य प्रशिक्षणकर्ता निहारिका पंसोरिया ने बताया इस प्रशिक्षण में 33 शिक्षकों ने हिस्सा लिया। प्रशिक्षण का उद्देश्य यही था कि टीचर, प्रशिक्षण संबंधी सिद्धांतों से परिचित होकर बच्चों को बेहतर ढ़ंग से सपोर्ट कर सकें। अच्छी बात यह रही कि ट्रेनिंग के बाद टीचर्स बच्चों के मनोभाव और समस्याओं को बेहतर तरीके से समझ करे।
शिकायत पर शुरू हुई ट्रेनिंग
निहारिका ने बताया कि शहर की विभिन्न बस्तियों में बच्चों से संवाद के दौरान एक बच्चे ने बताया कि वह ट्राइबल हॉस्टल में रहता है और वहां बच्चे अपनी बात ठीक तरह से टीचर तक पहुंचा नहीं पाते। ऐसे में संस्था ने स्कूल प्रिसिंपल से बात की। स्कूल प्रिंसिपल की पहल पर यह प्रशिक्षण शुरू किया गया।
लुक, लिसन और लिंक के बारे में बताया
निहारिका ने बताया कि ट्रेनिंग में सेल्फ केयर एक्टिविटीज और प्री-टेस्ट हुआ। टीनएजर की मेंटल हेल्थ, उसके कारण और प्रभाव पर चर्चा हुई। शिक्षकों को पीएफए के तीन मूल सिद्धांत- लुक, लिसन और लिंक के बारे में बताया कि बच्चों को पहचानने, परामर्श देने और सुरक्षित वातावरण बनाने में उनकी क्या भूमिकाएं होनी चाहिए। उन्हें संबंधित हेल्पलाइन की जानकारी भी दी गई।