Aniruddh Singh
4 Dec 2025
मुंबई। टाटा समूह ने अपने इतिहास में पहली बार एक अभूतपूर्व निर्णय लिया है। समूह की प्रमुख इकाई टाटा ट्रस्ट ने टाटा सन्स के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन के तीसरे कार्यकाल को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय टाटा समूह की सेवानिवृत्ति नीति से एक बड़ा अपवाद है, क्योंकि समूह के नियमों के अनुसार 65 वर्ष की आयु में शीर्ष कार्यकारी को पद छोड़ना होता है। परंतु चंद्रशेखरन की कुशल नेतृत्व क्षमता और समूह के चल रहे दीर्घकालिक रणनीतिक प्रोजेक्ट्स को ध्यान में रखते हुए यह नियम पहली बार शिथिल किया गया है। यह विस्तार मुख्यतः तीन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में टाटा समूह की निरंतरता बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया है। ये तीन क्षेत्र हैं कंडक्टर निर्माण, इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी उत्पादन और एयर इंडिया के परिवर्तन। चंद्रशेखरन वर्तमान में अपने दूसरे कार्यकाल में हैं, जो फरवरी 2027 में समाप्त होने वाला है। विस्तार मिलने पर वे 65 वर्ष की आयु पार करने के बावजूद कार्यकारी चेयरमैन बने रहेंगे।
टाटा ट्रस्ट की सितंबर 11 को हुई बैठक में नोएल टाटा और वेनु श्रीनिवासन ने यह प्रस्ताव रखा कि चंद्रशेखरन को तीसरा कार्यकाल दिया जाए ताकि समूह की व्यापक व्यवसायिक रूपांतरण योजनाओं में निरंतरता बनी रहे। प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ। यह भी तय हुआ कि औपचारिक स्वीकृति फरवरी 2026 में दी जाएगी, जब नियमों के अनुसार नए कार्यकाल की घोषणा का समय आएगा। यह फैसला उस समय आया है जब टाटा समूह कई जटिल परिस्थितियों से गुजर रहा है। टाटा ट्रस्ट के अंदर यह बहस चल रही है कि टाटा सन्स को सार्वजनिक कंपनी बनाया जाए या नहीं। जुलाई में पारित एक प्रस्ताव में कंपनी को निजी बनाए रखने की सिफारिश की गई थी, लेकिन अब कुछ ट्रस्टी उस निर्णय पर पुनर्विचार कर रहे हैं। इस अनिश्चित माहौल में चंद्रशेखरन की निरंतर कार्यकारी भूमिका समूह को स्थिरता और स्पष्ट दिशा देने के लिए अत्यंत आवश्यक मानी जा रही है।
विश्लेषकों के अनुसार, यह विस्तार भले ही असामान्य लगे, लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए यह पूरी तरह स्वाभाविक कदम है। कंसल्टिंग फर्म कैटालिस्ट एडवाइजर्स के एमडी केतन दलाल ने कहा टाटा समूह इस समय एक निर्णायक मोड़ पर है। एक ओर एयर इंडिया की चुनौतियां हैं, दूसरी ओर भू-राजनीतिक तनाव, और संभावित टाटा सन्स आईपीओ को लेकर बढ़ता मार्केट प्रेशर। ऐसे में नेतृत्व में निरंतरता आवश्यक है। एन. चंद्रशेखरन ने 2017 में टाटा सन्स के चेयरमैन का पद संभाला था। वे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) से आए एक अनुभवी पेशेवर हैं। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने पिछले 5 वर्षों में शानदार प्रदर्शन किया है। समूह का राजस्व लगभग दोगुना हुआ और शुद्ध लाभ तथा बाजार पूंजीकरण तीन गुना बढ़ गया। वित्त वर्ष 2024–25 में समूह की कुल आय ₹15.34 लाख करोड़ रही, जबकि शुद्ध लाभ ₹1.13 लाख करोड़ दर्ज किया गया।
हालांकि पिछले एक वर्ष में समूह के बाजार मूल्य में लगभग ₹6.9 लाख करोड़ की गिरावट आई है, जिसका मुख्य कारण टीसीएस के शेयर मूल्य में करीब 30% की गिरावट रहा। इसके बावजूद, चंद्रशेखरन के कार्यकाल में टाटा सन्स की नेटवर्थ 2018 के ₹43,252 करोड़ से बढ़कर ₹1.49 लाख करोड़ हो गई। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई नए क्षेत्रों में प्रवेश किया है। इनमें टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के माध्यम से सेमीकंडक्टर निर्माण, टाटा डिजिटल के तहत सुपर-ऐप टाटा न्यू और क्रोमा, बिगबास्केट, 1एमजी तथा टाटा क्लिक जैसे प्लेटफॉर्म्स का विस्तार शामिल है। साथ ही, एयर इंडिया की वापसी समूह में ऐतिहासिक रही इसके तहत विस्तारा और एयरएशिया इंडिया का विलय एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस में किया गया। इसके अलावा, समूह ने तेजस नेटवर्क्स का अधिग्रहण कर भारत में एक स्वदेशी मोबाइल नेटवर्क स्टैक विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है और भारत तथा ब्रिटेन में बैटरी गीगाफैक्ट्रीज स्थापित कर रहा है।