Aniruddh Singh
29 Oct 2025
Aniruddh Singh
28 Oct 2025
Manisha Dhanwani
28 Oct 2025
नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 27 अगस्त से 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की संभावना को लेकर बाजारों में अनिश्चितता और घबराहट का माहौल है। अगर टैरिफ की यह दर लागू होती है तो भारत से अमेरिका निर्यात किए जाने वाले सामानों पर कुल टैक्स 50% तक पहुंच जाएगा। यह कदम भारत की अर्थव्यवस्था और उसके निर्यातकों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा के सर्वे के अनुसार, निवेशकों का मानना है कि इस टैरिफ के लागू होने की संभावना अभी भी काफी कम है। लगभग आधे निवेशकों का कहना है कि 40% से कम चांस है कि ट्रंप सचमुच यह कदम उठाएंगे। दूसरी ओर, भारत ने रूस से तेल खरीदने के अपने फैसले पर कोई समझौता करने से इनकार किया है। यही कारण है कि टैरिफ लागू होने का खतरा बना हुआ है। भारत की स्थिति साफ है कि उसकी ऊर्जा जरूरतें रूस से सस्ता तेल खरीदने पर निर्भर हैं। इसी कारण अमेरिका की नाराजगी बढ़ी और उसने यह दंडात्मक कदम उठाने की धमकी दी है। अगर यह टैरिफ सचमुच लागू हो गया तो भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.2% से घटकर 6% तक आ सकती है। भारत से अमेरिका को लगभग 87 अरब डॉलर का निर्यात होता है, जो देश की जीडीपी का करीब 2.2% है।
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इनमें से दवाइयां और इलेक्ट्रॉनिक्स को छोड़कर ज्यादातर उत्पाद इस भारी टैरिफ की मार झेलेंगे। इसका असर खासकर उन उद्योगों पर होगा जहां बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं, जैसे टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी और लेदर इंडस्ट्री। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही यह टैरिफ भारत की समग्र अर्थव्यवस्था को बहुत ज्यादा नुकसान न पहुंचाए, लेकिन इसका मनोवैज्ञानिक असर बाजारों पर नकारात्मक होगा। विदेशी निवेशक बड़ी मात्रा में शेयर बेच सकते हैं जिससे शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है। हालांकि घरेलू मांग पर आधारित सेक्टर जैसे बैंकिंग, टेलीकॉम, एविएशन, होटल और सीमेंट जैसी कंपनियां इस संकट को झेलने में सक्षम मानी जा रही हैं। कुछ ब्रोकरेज कंपनियों का कहना है कि अब किसी समझौते की संभावना बहुत कम रह गई है और 50% का अंतिम टैरिफ लागू होना लगभग तय माना जा रहा है।
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हालांकि भारत सरकार भी तैयारियों में जुट गई है और ऐसे रोजगार-गहन क्षेत्रों के लिए सहायता योजनाएं लाने की योजना बना रही है, ताकि टैरिफ से लगे झटके को कम किया जा सके। बाजार विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौता हो सकता था, लेकिन अमेरिका की राजनीति और भारत-पाक तनाव के कारण यह टल गया। अब जबकि 27 अगस्त नजदीक है, स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई है। ट्रंप के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए यह खतरा और बढ़ जाता है, क्योंकि उन्होंने अक्सर अपने दिए हुए आर्थिक चेतावनियों को लागू किया है। ऐसे में भारतीय निवेशकों और निर्यातकों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह 50% टैरिफ वाकई लागू होगा और अगर हुआ तो भारत इसे झेलने के लिए कितना तैयार है।