Aakash Waghmare
14 Nov 2025
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर हिंसक टकराव हुआ है। मंगलवार रात कुर्रम जिले के खैबर पख्तूनख्वा इलाके में अफगान तालिबान और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच जोरदार लड़ाई छिड़ गई। कुछ घंटे पहले तक दोनों देशों के बीच शांति बनी हुई थी, लेकिन अचानक से हालात फिर बिगड़ गए।
पाकिस्तान ने दावा किया है कि अफगान तालिबान और ‘फित्ना अल-ख़वारिज़’ ने बिना किसी उकसावे के गोलीबारी शुरू की। पाकिस्तानी सेना ने जवाबी कार्रवाई में कई तालिबान चौकियों को निशाना बनाया। सूत्रों के मुताबिक दोनों ओर से टैंकों को भारी नुकसान पहुंचा है। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की पोस्ट पर कब्जा करने का दावा भी किया है।
इससे पहले सऊदी अरब और कतर की कोशिशों से दोनों देशों के बीच तनाव कुछ समय के लिए थम गया था। लेकिन पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने सोमवार को ही चेतावनी दी थी कि बॉर्डर की स्थिति बेहद तनावपूर्ण है और कभी भी लड़ाई हो सकती है। उनकी बात सच साबित हुई और मंगलवार रात को ही फिर भिड़ंत हो गई।
अफगानिस्तान समर्थित सोशल मीडिया हैंडल्स ने दावा किया है कि अफगान तालिबान ने ड्रोन से पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमला किया। ‘वॉर ग्लोब न्यूज’ ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें तालिबान का ड्रोन पाकिस्तान के पख्तूनख्वा इलाके में किसी सेना अड्डे पर विस्फोट करता दिख रहा है। एक अन्य अफगान हैंडल ‘अफगानिस्तान डिफेंस’ ने दावा किया कि इस हमले में 7 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं।
अफगानिस्तान सरकार ने पाकिस्तान से मांग की है कि वह ISIS-खुरासान (दाएश) के प्रमुख नेताओं को सौंप दे। अफगानिस्तान का कहना है कि ये आतंकी पाकिस्तान में छिपे हैं और वहीं से अफगानिस्तान पर हमलों की साजिश रच रहे हैं। इन नेताओं में शहाब अल-मुहाजिर, अब्दुल हकीम तौहीदी, सुल्तान अजीज और सलाहुद्दीन रजब शामिल बताए गए हैं।
अफगानिस्तान से मिली रिपोर्टों के मुताबिक, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के दो गुट एकजुट हो गए हैं। एक गुट का नेतृत्व कुर्रम जिले के मुफ्ती अब्दुर रहमान कर रहे हैं, जबकि दूसरा खैबर जिले की तिराह घाटी के कमांडर शेर खान के पास है। दोनों कमांडरों ने TTP के प्रमुख मुफ्ती नूर वली महसूद के प्रति निष्ठा की शपथ ली है।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच डूरंड रेखा लगभग 2640 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसे 1893 में ब्रिटिश भारत और अफगानिस्तान के बीच तय किया गया था। यह रेखा पश्तून जनजातियों को दो हिस्सों में बांटती है — एक हिस्सा अफगानिस्तान में और दूसरा पाकिस्तान में। अफगानिस्तान इसे मान्यता नहीं देता और इसे औपनिवेशिक दौर की अन्यायपूर्ण सीमा मानता है। इसी विवाद की वजह से दोनों देशों के बीच बार-बार तनाव और झड़पें होती रहती हैं।