Mithilesh Yadav
17 Sep 2025
नई दिल्ली। सर्दियों के करीब आते ही दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन जाती है। इस समस्या के पीछे एक बड़ा कारण है पंजाब और हरियाणा के किसान पराली जलाना। इसको लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियों को कड़ा निर्देश दिया है। अदालत ने प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों से 3 सप्ताह के भीतर प्रदूषण नियंत्रण की ठोस रणनीति प्रस्तुत करने को कहा है। अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच (CJI बीआर गवई व जस्टिस के विनोद चंद्रन) ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM), सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से निर्देश दिया कि वे सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवश्यक उपाय समय पर पेश करें।
सीजेआई गवई ने किसानों पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, जो किसान पराली जलाने के सरकारी निर्देशों का उल्लंघन करते हैं, उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया जाता? सिर्फ जुर्माना लगाने से काम नहीं चलेगा, जवाबदेही जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी सख्त सवाल उठाए कि पराली जलाने वालों के खिलाफ दंडात्मक प्रावधान क्यों नहीं बनाये जा रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, अगर कुछ लोगों को जेल में डालने से सही संदेश जाएगा तो ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा? साथ ही यह भी कहा गया कि देश में किसानों का विशेष स्थान है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं। सरकार को तत्काल प्रभाव से एक ठोस निर्णय लेना होगा, नहीं तो अदालत खुद आदेश जारी करेगी।
हर साल अक्टूबर-नवंबर में पंजाब और हरियाणा के किसान खेतों से पराली हटाने के लिए उसे जला देते हैं। इसका तर्क यह है कि पराली हटाने के लिए मशीनरी महंगी पड़ती है।
इस पर अदालत ने कहा, पराली जलाने से दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है और इससे हर किसी की सेहत पर असर पड़ता है। हालांकि पिछले वर्षों में इस पर कमी देखी गई है, लेकिन यह समस्या पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।
पंजाब सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा कि पिछले तीन साल में पराली जलाने के मामले काफी कम हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि छोटे किसानों के खिलाफ गिरफ्तारियां की गईं, लेकिन इससे उनकी जीविका पर असर पड़ता है। इस पर सीजेआई गवई ने स्पष्ट किया, छोटे किसानों को सलाखों के पीछे रखने का मकसद नहीं है, लेकिन एक उदाहरण कायम करना जरूरी है ताकि भविष्य में सभी सरकारी आदेश का पालन करें।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी। तब तक केंद्र और राज्य सरकारों को ठोस रिपोर्ट पेश करनी होगी कि वे प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए क्या ठोस कदम उठा रहे हैं। आंदोलन का लक्ष्य केवल कानून का पालन कराना नहीं, बल्कि देशवासियों को स्वस्थ व सुरक्षित वातावरण मुहैया कराना भी है।