नई दिल्ली। भाजपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन नबीन को पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है। न्यूज एजेंसी ANI ने पार्टी सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। सूत्रों के मुताबिक उनकी नियुक्ति का औपचारिक ऐलान 20 जनवरी को होने की संभावना है।
बताया जा रहा है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 18 से 20 जनवरी के बीच पूरी की जाएगी। ऐसे में तय समयसीमा के भीतर नितिन नबीन के नाम पर मुहर लग सकती है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते ही रच देंगे इतिहास
यदि नितिन नबीन राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो वे इस पद पर पहुंचने वाले सबसे युवा कैंडिडेट होंगे। वहीं उनका कार्यकाल 2029 तक रहेगा। बता दें साल 2029 में लोकसभा चुनाव प्रत्सावित होने के कारण उनका कार्यकाल भी बढ़ाया जा सकता है। इधर, पार्टी 15 जनवरी से देशभर के पार्टी अध्यक्षों को दिल्ली बुला सकती है। इससे पहले 2028 में जेपी नड्डा को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नितिन नबीन की उम्मीदवारी को मजबूत समर्थन मिलने की तैयारी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, देश के विभिन्न राज्यों के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नितिन नबीन के समर्थन में नॉमिनेशन पेपर का एक सेट जमा करेंगे। यह कदम पार्टी के भीतर व्यापक सहमति और संगठनात्मक समर्थन को दर्शाएगा।
नेशनल काउंसिल के सदस्य दाखिल करेंगे दूसरा सेट
इसके अलावा नॉमिनेशन पेपर का दूसरा सेट भारतीय जनता पार्टी की नेशनल काउंसिल के सदस्य दाखिल करेंगे। पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन प्रक्रिया में संगठन के अलग-अलग स्तरों से समर्थन जरूरी होता है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्षों और नेशनल काउंसिल सदस्यों की ओर से नॉमिनेशन दाखिल किया जाना नितिन नबीन की दावेदारी को और मजबूत करता है।
भाजपा शासित राज्यों के CM रहेंगे मौजूद
भाजपा सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव और औपचारिक ऐलान के मौके पर सभी मुख्यमंत्रियों और भाजपा शासित राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों को दिल्ली में मौजूद रहने के निर्देश दिए गए हैं। पार्टी नेतृत्व इस अवसर को संगठनात्मक एकजुटता और शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देख रहा है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि नितिन नबीन को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की स्थिति में उनका कार्यकाल जनवरी 2026 से जनवरी 2029 तक रहेगा। चूंकि 2029 में लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में पार्टी जरूरत पड़ने पर उनके कार्यकाल को आगे बढ़ा सकती है, ताकि चुनावी रणनीति और संगठनात्मक स्थिरता बनी रहे।




















