Aniruddh Singh
27 Oct 2025
Aniruddh Singh
26 Oct 2025
Aniruddh Singh
26 Oct 2025
Aniruddh Singh
26 Oct 2025
मुंबई। पिछले तीन महीनों में स्मॉलकैप म्यूचुअल फंड्स में लगभग 5% तक की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे निवेशकों के बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह चेतावनी का संकेत है या फिर लंबे समय के लिए एक सुनहरा निवेश अवसर। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट किसी बड़े संकट का संकेत नहीं, बल्कि एक स्वाभाविक मार्केट करेक्शन है, जिससे फंड के मूल्यांकन अब अधिक उचित स्तर पर आ गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, औसतन स्मॉलकैप फंड्स ने तीन महीनों में 1.42% की गिरावट दर्ज की है। लगभग 31 स्मॉलकैप फंड्स में से 24 ने नकारात्मक रिटर्न दिए हैं, जबकि 7 फंड्स ने सकारात्मक प्रदर्शन किया। टाटा स्मॉल कैप फंड में सबसे अधिक 4.94% की गिरावट आई है, जबकि डीएसपी स्मॉल कैप फंड में 4.24% की कमी रही। दूसरी ओर, ट्रस्टएमएफ स्मॉल कैप फंड ने सबसे अधिक 3.74% की बढ़त दर्ज की।
विशेषज्ञों का कहना है कि हाल की गिरावट बाहरी कारकों जैसे वैश्विक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनावों के कारण हुई है। एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के अनुसार, इस समय स्मॉलकैप सेगमेंट में फोम यानी अत्यधिक मूल्यांकन का बुलबुला कुछ हद तक फूटा है और अब यह श्रेणी पहले की तुलना में ज्यादा फेयरली वैल्यूड यानी संतुलित कीमतों पर है। यही कारण है कि इसे एक आकर्षक एंट्री पॉइंट माना जा रहा है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट न तो बहुत गंभीर है, न ही बहुत उत्साहजनक। स्मॉलकैप फंड्स में अस्थिरता (वोलैटिलिटी) हमेशा से रही है, और 3–5% की ऐसी हलचल इन फंड्स के लिए सामान्य बात है। एनएसई के स्मॉलकैप 250 इंडेक्स अब भी उच्च मूल्यांकन पर ट्रेड कर रहा है, जिससे कहा जा सकता है कि निवेशकों में कोई दहशत नहीं है, बल्कि यह एक प्रकार का वास्तविकता परीक्षण है।
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने 2024 में स्मॉल और मिडकैप फंड्स के लिए स्ट्रेस टेस्ट रिपोर्ट जारी करने का नियम बनाया था। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि यदि अचानक बाजार गिरता है या निवेशक एक साथ पैसा निकालते हैं, तो फंड्स के पास पर्याप्त तरलता बनी रहे। इस नियम के बाद से निवेशकों और फंड हाउस दोनों में सतर्कता बढ़ी है। इतिहास बताता है कि स्मॉलकैप इंडेक्स में औसतन 20–25% की गिरावट सामान्य बात है, इसलिए मौजूदा 3% की गिरावट पर चिंता करने की जरूरत नहीं है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि ऐसे उतार-चढ़ाव में निवेशकों को अपनी सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) जारी रखनी चाहिए, क्योंकि एसआईपी का उद्देश्य ही यही है कि निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव को समय के साथ संतुलित कर सकें।
वित्तीय सलाहकार यह भी कहते हैं कि पोर्टफोलियो को संतुलित बनाए रखना जरूरी है। एक आदर्श आवंटन में 55% बड़े (लार्जकैप), 25% मध्यम (मिडकैप) और 20% छोटे (स्मॉलकैप) शेयरों में निवेश होना चाहिए। इससे निवेशक को स्थिरता, तरलता और विकास-तीनों का संतुलन मिलेगा। वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 सालों में स्मॉल कैप फंड्स ने औसतन 27.67% का रिटर्न दिया है, जबकि पिछले दस वर्षों में इनका औसत रिटर्न 16.67% रहा है। वहीं पिछले तीन वर्षों में स्मॉल कैप फंड्स का औसत रिटर्न 20.90% दर्ज किया गया है। स्मॉल कैप फंड्स के इस दीर्घकालिक प्रदर्शन को देखते हुए, निवेशकों को ऐसी लॉन्ग-टर्म रणनीति अपनानी चाहिए जिससे वे स्मॉल कैप अवसरों का लाभ उठा सकें, लेकिन अत्यधिक जोखिम से बचें।