Aniruddh Singh
11 Oct 2025
मुंबई। एमके वेल्थ मैनेजमेंट के अनुसार, चांदी की कीमतें अगले साल तक 20% तक और बढ़ सकती हैं, जिससे यह 60 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। यह अनुमान इस तथ्य पर आधारित है कि वैश्विक स्तर पर औद्योगिक मांग लगातार मजबूत बनी हुई है, जबकि आपूर्ति में 20% की कमी है। कंपनी का कहना है कि यह मांग-आपूर्ति का अंतर निकट भविष्य में भी जारी रहने की संभावना है, जिससे चांदी की कीमतों में तेजी बनी रह सकती है।
चांदी में लगभग 90% का शानदार लाभः कैलेंडर वर्ष 2025 में निवेशकों ने पहले ही चांदी में लगभग 90% का शानदार लाभ देखा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी लगभग 49 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर स्थिर बनी हुई है, जो अपने सर्वकालिक उच्च स्तर के करीब है। राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण निवेशक सोना और चांदी जैसे सुरक्षित निवेश साधनों की ओर तेजी से झुक रहे हैं। कॉमेक्स सिल्वर में अब तक लगभग 70% की बढ़त दर्ज की गई है, जबकि एमसीएक्स सिल्वर में भी करीब 71% की तेजी देखी गई है।
सोने ने भी निवेशकों को निराश नहीं किया है। अक्टूबर 2025 तक सोने ने लगभग 61.82% का रिटर्न दिया है, जो भारतीय शेयर बाजारों और बॉन्ड निवेशों से काफी अधिक है। निफ्टी 500 ट्राई इंडेक्स के अनुसार भारतीय शेयरों ने जहां 4.2% की बढ़त दर्ज की, वहीं बॉन्ड्स ने 8.4% का लाभ दिया। एमके वेल्थ का मानना है कि सोने और चांदी की कीमतें अमेरिकी डॉलर की दिशा से गहराई से जुड़ी हैं। आने वाले महीनों में अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की संभावना से डॉलर कमजोर होगा, जिससे कीमती धातुओं को और सहारा मिलेगा।
डॉलर के मुकाबले सोने को ज्यादा महत्वः एमके वेल्थ मैनेजमेंट के हेड ऑफ प्रोडक्ट्स, आशीष राणवड़े ने कहा कि संस्थागत निवेशकों और केंद्रीय बैंकों द्वारा अमेरिकी डॉलर के बजाय सोने को वरीयता देना, कीमती धातुओं की कीमतों में तेजी का प्रमुख कारण है। उन्होंने यह भी कहा कि चांदी की तकनीकी स्थिति अब ऐसे स्तर पर है, जहां से इसके ऐतिहासिक उच्च स्तरों की ओर नया ब्रेकआउट संभव है।
इक्विटी मार्केट के संदर्भ में रिपोर्ट बताती है कि भारतीय शेयर बाजार वर्तमान में ऊंचे मूल्यांकन पर हैं। निफ्टी 100 का पी/ई अनुपात 21.8 है, मिडकैप 150 का 33.6, स्मॉलकैप 250 का 30.43 और माइक्रोकैप 250 का 28.88 है। इसके बावजूद घरेलू निवेशक लगातार इक्विटी में निवेश बढ़ा रहे हैं। एमके वेल्थ के रिसर्च प्रमुख डॉ. जोसेफ थॉमस का कहना है कि संरचनात्मक रूप से भारत वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक अपवाद रहेगा। नई आईपीओ लहर से बाजार और व्यापक हुआ है, जिससे सक्रिय फंड मैनेजरों और वैकल्पिक निवेश फंडों के लिए अवसर बढ़ रहे हैं।
देश की अर्थव्यवस्था मजबूतः भारत की आर्थिक कहानी अब भी मजबूत बनी हुई है। डिजिटल क्रांति, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, सुधारों की निरंतर गति, चीन+1 रणनीति और संतुलित भू-राजनीतिक संबंध भारत को वैश्विक निवेश केंद्र बना रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, 2025 में वैश्विक विकास पर अमेरिकी टैरिफ और भू-राजनीतिक तनावों का केवल 0.5 प्रतिशत अंक का हल्का प्रभाव पड़ेगा। भारत की वृद्धि दर 2025 और 2026 के लिए 6.2–6.3% रहने का अनुमान है, जिसे घरेलू मांग, जीएसटी सरलीकरण, ब्याज दरों में कमी और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि का समर्थन मिलेगा।