People's Reporter
17 Oct 2025
सीधी। मध्य प्रदेश के सीधी जिले स्थित संजय बाघ अभयारण्य में बाघों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। मंगलवार सुबह खेत के चारों ओर बिछाए गए करंट युक्त तार की चपेट में आने से बाघ ‘टी-43’ की मौत हो गई। लगातार हो रही घटनाओं ने वन विभाग की कार्यप्रणाली और सुरक्षा दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि खरबार गांव के पास दुबरी वन क्षेत्र में बाघ ‘टी-43’ का शव मिला। अनुविभागीय अधिकारी सुधीर मिश्रा ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह मामला खेतों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए बिछाए गए तार से करंट लगने का प्रतीत होता है। हालांकि मौत की असली वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट होगी। घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और जांच शुरू की गई।
सीधी और शहडोल जिले की सीमा पर फैले संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र के इलाके को वन विभाग ने ब्लॉक कर दिया और आम लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी।
करंट से बाघ की मौत का यह पहला मामला नहीं है। पिछले वर्ष भी चमराडोल क्षेत्र में करंट की चपेट में आने से एक बाघ की मौत हो चुकी थी। उस समय शिकारियों ने मृत बाघ को छिपाने के लिए कुएं में फेंक दिया था। बाद में जांच के दौरान वन विभाग को इसकी जानकारी मिली। इन घटनाओं से साफ है कि संजय टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा पर गंभीर संकट मंडरा रहा है।
मध्य प्रदेश में वर्तमान समय में 785 बाघ हैं, जो देश में सबसे अधिक हैं। बीते चार-पांच वर्षों में राज्य में बाघों की संख्या बढ़ी है, लेकिन संजय टाइगर रिजर्व में लगातार हो रही मौतों ने वन विभाग की सुरक्षा तैयारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि क्षेत्र में विस्थापन की प्रक्रिया पूरी नहीं होने और मानव बस्तियों की मौजूदगी के कारण बाघ असुरक्षित हैं।