Aniruddh Singh
21 Oct 2025
Aniruddh Singh
20 Oct 2025
मुंबई। देश में दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाने वाला बालिप्रतिपदा या गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से भी इसका विशेष महत्व है। इस दिन बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) बंद रहते हैं। निवेशक और कारोबारी समुदाय इस पर्व को शुभारंभ और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाते हैं। इससे एक दिन पहले, विशेष मुहूर्त ट्रेडिंग सत्र आयोजित किया जाता है, जो नए संवत वर्ष की शुरुआत का प्रतीक होता है।
इस वर्ष मंगलवार को हुए इस प्रतीकात्मक सत्र में निवेशकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे नए संवत 2082 की सकारात्मक शुरुआत हुई। हालांकि शुरुआती तेजी के बाद बाजार हल्की गिरावट के साथ बंद हुआ, लेकिन निवेशकों की भावना आशावादी बनी रही। मुहूर्त ट्रेडिंग केवल एक घंटे का विशेष सत्र होता है, जिसे शुभ समय में आयोजित किया जाता है। इसका मूल उद्देश्य आर्थिक वर्ष की शुरुआत को धार्मिक और सांस्कृतिक आशीर्वाद से जोड़ना है।
निवेशक इस समय प्रतीकात्मक रूप से शेयर खरीदते हैं, जिससे आने वाले वर्ष में आर्थिक सफलता और सौभाग्य की कामना की जाती है। इस बार के सत्र में सेंसेक्स ने शुरुआती दौर में 270 अंकों की छलांग लगाई और निफ्टी 25,900 के पार गया, लेकिन प्राफिट बुकिंग के चलते यह बढ़त देर तक टिक नहीं सकी। इसके बावजूद यह सत्र नई आशाओं और आत्मविश्वास के साथ समाप्त हुआ। दीवाली बालिप्रतिपदा का धार्मिक पहलू भी उतना ही प्रेरक है।
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दानवीर राजा बलि को पाताल लोक भेज दिया था, परंतु उनकी भक्ति और धर्मनिष्ठा से प्रसन्न होकर उन्हें वर्ष में एक दिन पृथ्वी पर अपने प्रजाजनों से मिलने की अनुमति दे दी थी। यही दिन बालिप्रतिपदा के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार इस बात का प्रतीक है कि विनम्रता, धर्म और सदाचार अंततः अहंकार और लोभ पर विजय प्राप्त करते हैं। व्यापारी समुदाय यह दिवस नई शुरुआत, आशीर्वाद और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाता है।
आर्थिक दृष्टि से देखें तो यह अवकाश भारतीय शेयर बाजारों में नए निवेश वर्ष की तैयारी का अवसर भी होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, संवत 2081 शेयर बाजारों के लिए अपेक्षाकृत स्थिर वर्ष रहा, लेकिन नए संवत में कॉरपोरेट मुनाफे की पुनरुद्धार की उम्मीदें बढ़ रही हैं। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि यदि वित्तीय वर्ष 2025–26 में कंपनियों के मुनाफे में 8–10% की वृद्धि और अगले वर्ष 15% तक की तेजी आती है, तो भारतीय इक्विटी बाजारों में मजबूत उछाल देखने को मिल सकता है।
भारत के आर्थिक परिदृश्य में घरेलू विकास दर, राजकोषीय स्थिरता और संरचनात्मक सुधार निवेशकों के विश्वास को सुदृढ़ बना रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही वैश्विक अनिश्चितताएं जैसे अमेरिका-चीन तनाव या कच्चे तेल के उतार-चढ़ाव मौजूद हों, फिर भी भारत की बुनियादी स्थिति मजबूत है। समग्र रूप से देखा जाए तो बालिप्रतिपदा का यह अवकाश केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक चेतना और सांस्कृतिक परंपरा के संगम का प्रतीक है, जो हर निवेशक को नई ऊर्जा, संतुलन और समृद्धि की ओर प्रेरित करता है।