Aniruddh Singh
19 Oct 2025
मुंबई। भारतीय शेयर बाजार इस दीवाली से पहले निवेशकों को शानदार तोहफा दिया है। पिछले तीन दिनों में सेंसेक्स लगभग 1,900 अंकों की जोरदार छलांग लगाकर 83,952 के स्तर पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 25,710 पर बंद हुआ है। यह तेजी सिर्फ संयोग नहीं बल्कि कई आर्थिक और वैश्विक कारणों का परिणाम है, जिसने निवेशकों के बीच भरोसा और उम्मीद दोनों को बढ़ाया है। इस पूरे अक्टूबर महीने में सेंसेक्स में लगभग 4.6% की बढ़त दर्ज की गई है। बैंकिंग शेयरों में तेजी, विदेशी निवेशकों (एफआईआई) की वापसी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित कटौती की उम्मीदों ने बाजार की रफ्तार को तेज किया है। साथ ही, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने भी बड़ी मात्रा में खरीदारी की है, जिससे बाजार को मजबूत समर्थन मिला। बीते हफ्ते डीआईआई ने करीब ₹16,247 करोड़ की नेट खरीदारी की, जबकि एफआईआई ने भी ₹556 करोड़ का निवेश किया।
हालांकि, यह निवेश ज्यादा टिकाऊ नहीं बल्कि अल्पकालिक रणनीतिक स्थिति का हिस्सा माना जा रहा है। त्योहारों के मौसम में उपभोग आधारित सेक्टर जैसे बैंकिंग, रियल एस्टेट और हेल्थकेयर ने बढ़िया प्रदर्शन किया है। निवेशकों का भरोसा इसलिए भी बढ़ा है क्योंकि बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता को लेकर चिंताएं घट रही हैं और कंपनियों की बिक्री में सुधार की उम्मीदें हैं। इसके साथ ही भारत-अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में प्रगति और रुपया मजबूत होने से भी सकारात्मक माहौल बना है। तकनीकी विश्लेषण की दृष्टि से बाजार का रुझान अभी भी तेजी वाला माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, सेंसेक्स और निफ्टी लगातार ऊंचाई पर बने हुए हैं और चार्ट्स पर हायर हाई, हायर लो का पैटर्न दिखा रहे हैं, जो तेजी का संकेत है।
हालांकि, वे चेतावनी दी देते हैं कि बाजार फिलहाल ओवरबॉट जोन में है, इसलिए ऊंचाई पर कुछ मुनाफावसूली देखने को मिल सकती है। निफ्टी के लिए 25,550–25,350 और सेंसेक्स के लिए 83,000–82,400 महत्वपूर्ण सपोर्ट स्तर बताए गए हैं, जबकि रेसिस्टेंस 26,000–26,300 के बीच रहेगा। आने वाला हफ्ता निवेशकों के धैर्य की परीक्षा ले सकता है क्योंकि ट्रेडिंग के दिन कम होंगे और कई बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे घोषित होने वाले हैं। इनके नतीजे बाजार की दिशा तय कर सकते हैं। साथ ही, 21 अक्टूबर को होने वाला मुहूर्त ट्रेडिंग सत्र (दीवाली विशेष) निवेशकों की भावनाओं का संकेत देगा और नए संवत 2082 की शुरुआत करेगा। विश्लेषकों का मानना है कि भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत है-मुद्रास्फीति नियंत्रण में है, विकास दर ऊंची है और कॉरपोरेट नतीजे भी उम्मीद से बेहतर हैं। ऐसे में मध्यम अवधि के लिए दृष्टिकोण सकारात्मक है।
हालांकि, वैश्विक व्यापार तनाव, भू-राजनीतिक जोखिम और विदेशी फंड फ्लो में अस्थिरता अल्पकालिक झटके दे सकते हैं। निवेशकों को फिलहाल डिप पर खरीदारी की रणनीति अपनाने की सलाह दी जा रही है। बैंकिंग, एफएमसीजी और उपभोक्ता वस्तु जैसे सेक्टरों में निवेश बेहतर माना जा रहा है, जबकि आईटी और निर्यात-उन्मुख कंपनियों में अस्थिरता रह सकती है। कुल मिलाकर, यह दीवाली रैली असली है, लेकिन इसकी स्थिरता आने वाले हफ्तों में कॉरपोरेट नतीजों, वैश्विक आर्थिक नीतियों और तकनीकी संकेतों पर निर्भर करेगी। निवेशकों के लिए यह समय जश्न मनाने का जरूर है, मगर साथ ही सावधानी बरतना और पोर्टफोलियो को संतुलित रखना भी जरूरी है ताकि किसी अप्रत्याशित गिरावट से नुकसान न हो।