Naresh Bhagoria
3 Dec 2025
अशोक गौतम
भोपाल। प्रदेश में राजधानी की फंदा तहसील और जबलपुर जिले के चरगवां सहित 100 से ज्यादा शासकीय कॉलेज, स्कूलों व सामुदायिक भवनों में वर्षों से संचालित हो रहे हैं, इन कॉलेजों को अब तक अपने वन नसीब नहीं हुए हैं। वहीं, गुना जिले के बमोरी में एक ऐसा कॉलेज है, जिसके पास बिल्डिंग तो है पर यहां पढ़ाने के लिए प्रोफेसर नहीं हैं । यहां पर कुछ विद्यार्थियों ने प्रवेश भी लिया पर फैकल्टी नहीं होने से उन्हें दूसरे कॉलेजों में ट्रांसफर लेना पड़ा। दरअसल इस कॉलेज का भवन करीब 5 साल पहले पूरा हो गया, पर सरकार ने यहां पद स्वीकृत ही नहीं किए। कॉलेज में वर्ष 2020 में 13 बच्चों ने प्रवेश लिया था, लेकिन प्राध्यापक नहीं होने से यहां के बच्चों को पढ़ने के लिए करीब 65 किमी की दूरी गुना शहर जाना पड़ता है।
सामान्य तौर पर कॉलेज खुलने से पहले प्रिंसिपल और कुछ प्राध्यापकों की पदस्थापना की जाती है। इसके बाद कॉलेज भवन बनाया जाता है, लेकिन यहां नेताओं के दबाव में पहले भवन बनाया गया। इसी के चलते कॉलेज के लिए पद भी शासन से स्वीकृत नहीं हुए। बच्चों ने इस कॉलेज में प्रवेश ऑनलाइन लिया था। लेकिन जब कॉलेज के ताले नहीं खुले तो बच्चों को इस पर संदेह हुआ। उन्होंने पता किया तो जानकारी मिली कि यहां तो प्राध्यापक ही नहीं हैं। इसके चलते विद्यार्थियों को ग्वालियर, गुना सहित अन्य कॉलेजों में ट्रांसफर लेना पड़ा।
-प्रदेश में 571 शासकीय कॉलेज
-75 कॉलेजों के भवन निर्माणाधीन
-116 कॉलेज, स्कूलों-सामुदायिक भवनों में संचालित
-38 कॉलेज भवनों के लिए जमीन की तलाश जारी
गुना के बमोरी में वर्ष 2019 में कॉलेज स्वीकृत किया गया था। इसके भवन निर्माण की प्रशासकीय स्वीकृति 17 मार्च 2023 को मिली और इसके लिए 5.34 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए। भवन बनने के दो वर्ष तक इनमें ताला लगा रहा। स्थानीय विधायक ऋषि अग्रवाल के विधानसभा में सवाल के बाद विभाग ने 14 मई 2025 को भवन को गुना पीजी कॉलेज के हवाले किया। इस समय इसमें ताला लगा हुआ है।
बमोरी में कॉलेज भवन बनने के बाद पद स्वीकृत नहीं हुए हैं। इस संबंध में रिकार्ड देखकर ही कुछ बता पाऊंगा। अगर पद स्वीकृत नहीं है तो पद स्वीकृत करने के लिए सरकार के संज्ञान में लाया जाएगा।
-अनुपम राजन, अपर मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा विभाग
मैंने चार साल पहले इस कॉलेज में कला संकाय में ऑनलाइन पवेश लिया था। कॉलेज में ताले लगे होने और गुना कालेज में ट्रांसफर लिया। हमें पढ़ाई के लिए बमोरी से गुना जाना पड़ता है। इसमें मेरा तो कोई दोष नहीं है। फिर, मुझे परेशानी क्यों उठानी पड़ी। मेरे अलावा दूसरे बच्चे भी परेशान हो रहे हैं, जिन्होंने ऑनलाइन प्रवेश लिया था।
-रोहित दांगी, छात्र, बमोरी जिला गुना