RGPV : 19.48 करोड़ के घोटाले में कुलपति, तत्कालीन रजिस्ट्रार और वित्त शाखा के अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज, वित्त शाखा के अफसरों को हटाने के निर्देश, CM के पोस्ट के बाद एक्शन में सरकार
Publish Date: 3 Mar 2024, 10:58 PM (IST)Reading Time: 3 Minute Read
भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में 19.48 करोड़ रुपए प्राइवेट खातों में ट्रांसफर करने के मामले में कुलपति प्रो. सुनील कुमार समेत आरोपी अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है। इस मामले के खुलासे के बाद रविवार सुबह उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के बीच चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दे दिए। देर शाम सीएम ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट में दावा किया कि आर्थिक अनियमितताओं के इस केस में दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कुलपति समेत पांच के खिलाफ एफआईआर दर्ज
सीएम के पोस्ट के बाद गांधीनगर थाने में आरजीपीवी के कुलपति, तत्कालीन कुलसचिव प्रो आरएस राजपूत, वित्त नियंत्रक ऋषिकेष वर्मा, दलित संघ सोहागपुर और मयंक कुमार नाम के एक लाभार्थी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 120बी के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 13(1)(ए) और धारा 13 (2) के तहत मामला कायम कर लिया गय़ा। यह प्रकरण विश्विद्यालय के रजिस्ट्रार मोहन सेन के द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है। फिलहाल इस केस में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
वित्त शाखा के अफसरों को हटाने के निर्देश
आरजीपीवी में हुए आर्थिक अनियमितता के मामले पर सीएम डॉ मोहन यादव ने सोशल साइट "X" पर पोस्ट करते हुए यह भी लिखा कि विश्वविद्यालय की वित्त शाखा में पदस्थ सभी अधिकारियों को हटाकर उच्च स्तरीय समिति द्वारा जांच कराने के निर्देश भी दे दिए गए हैं। इस मामले में दोषी पाए जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर राज्य सरकार सख्त कार्रवाई करेगी।
इस तरह मामले ने पकड़ा तूल
एबीवीपी कार्यकर्ता इस घोटाले की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग को लेकर बीते शुक्रवार को विवि में धरने पर बैठ गए थे। इसके साथ ही उन्होंने जांच समिति का घेराव कर दिया था। इसके बाद शनिवार रात कमेटी ने जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी। जांच रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया 19.48 करोड़ रुपए अनाधिकृत रूप से आपराधिक षड्यंत्र कर निजी खातों में ट्रांसफर किए जाना पाए गए। इसके बाद शासन ने तत्कालीन रजिस्ट्रार को निलंबित कर दिया था।
20 नहीं 200 करोड़ का घोटाला: एबीवीपी
रविवार सुबह उच्च शिक्षा मंत्री परमार धरना स्थल पर पहुंचे थे। उन्होंने एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई और उच्च स्तरीय समिति गठित कर विश्वविद्यालय के सभी आर्थिक मामलों की जांच कराने का आश्वासन दिया था। इसके बाद भी एबीवीपी ने सभी दोषियों के खिलाफ एफआईआर नहीं होने तक धरना खत्म करने से इंकार कर दिया था। एबीवीपी के प्रांत मीडिया संयोजक शिवम जाट ने उच्च शिक्षा मंत्री से कहा कि अभी केवल 19.48 करोड़ का मामला उजागर हुआ है, जबकि विवि में 200 करोड़ रुपए का घालमेल हुआ है। हालांकि देर रात एफआईआर दर्ज होने के बाद एबीवीपी का धरना समाप्त हो गया।