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मुंबई। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने केजी-डी6 गैस फील्ड से जुड़े कथित 30 अरब डॉलर के सरकारी दावे की खबर को सिरे से खारिज कर दिया है। कंपनी ने साफ कहा है कि इस तरह की रिपोर्ट बिना नाम और पहचान वाले स्रोतों के आधार पर प्रकाशित की गई है, जो न केवल अनुचित है बल्कि गैर-जिम्मेदाराना भी है। रिलायंस का कहना है कि सरकार की ओर से उस पर या उसके साझेदार बीपी पर 30 अरब डॉलर का कोई दावा नहीं किया गया है और इस तरह की खबरें तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करती हैं। कंपनी ने अपने आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया कि केजी-डी6 ब्लॉक से जुड़े मामले में भारत सरकार की ओर से जो दावा किया गया है, उसकी राशि करीब 247 मिलियन डॉलर या लगभग 2,100 करोड़ रुपए की है, न कि 30 अरब डॉलर की। यह राशि पहले से ही रिलायंस की वार्षिक ऑडिटेड वित्तीय रिपोर्ट में पूरी पारदर्शिता के साथ दर्ज है और कंपनी ने अपने सभी डिस्क्लोजर नियमों का पालन किया है।
रिलायंस ने यह भी कहा कि इस तथ्य को कंपनी हर साल लगातार अपने वित्तीय बयानों में बताती रही है, इसलिए इसे छुपाने या गलत तरीके से पेश करने का सवाल ही नहीं उठता। रिलायंस ने यह भी स्पष्ट किया कि केजी-डी6 से जुड़ा मामला फिलहाल न्यायालय में विचाराधीन है। यानी इस पर अंतिम फैसला देश की न्यायिक व्यवस्था द्वारा कानून के अनुसार किया जाएगा। कंपनी ने भारतीय न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा जताया है और कहा है कि वह अदालत के फैसले का सम्मान करेगी। ऐसे में किसी भी तरह का अनुमान या बड़ी रकम का दावा करना न सिर्फ भ्रामक है, बल्कि मामले की संवेदनशीलता को भी नजरअंदाज करता है। कंपनी का यह भी कहना है कि रिलायंस और उसकी साझेदार कंपनी बीपी ने हमेशा अपने अनुबंधीय और कानूनी दायित्वों का पालन किया है। गैस उत्पादन को लेकर जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वे तथ्यों की गलत व्याख्या पर आधारित हैं।
रिलायंस ने मीडिया रिपोर्ट में तथ्यों की गलत प्रस्तुति पर कड़ा एतराज जताया है और कहा है कि इस तरह की खबरें निवेशकों और आम लोगों के बीच भ्रम पैदा कर सकती हैं। दरअसल, जिस रिपोर्ट का रिलायंस ने खंडन किया है, उसमें यह दावा किया गया था कि भारत सरकार ने केजी-डी6 गैस फील्ड में कथित कम उत्पादन को लेकर रिलायंस और बीपी से 30 अरब डॉलर की मांग की है। रिलायंस के ताजा बयान से साफ हो गया है कि यह दावा वास्तविकता से काफी दूर है। उल्लेखनीय है कि केजी-डी6 गैस फील्ड देश का एक प्रमुख अपतटीय प्राकृतिक गैस क्षेत्र है, जो कृष्णा-गोदावरी बेसिन में बंगाल की खाड़ी के भीतर स्थित है। यह क्षेत्र आंध्र प्रदेश के तट से लगभग 35–60 किमी दूर गहरे समुद्र में फैला हुआ है। यह देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से इसे बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
केजी-डी6 ब्लॉक की खोज रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने की थी और इसमें उसकी साझेदार कंपनी बीपी (ब्रिटिश पेट्रोलियम) भी शामिल है। इस गैस फील्ड से व्यावसायिक उत्पादन की शुरुआत वर्ष 2009 में हुई थी। शुरुआती दौर में यहां से गैस उत्पादन काफी तेजी से बढ़ा और एक समय यह भारत की घरेलू गैस आपूर्ति का बड़ा स्रोत बन गया था। हालांकि, कुछ सालों के बाद केजी-डी6 से गैस उत्पादन में तेज गिरावट देखने को मिली। इसी गिरावट को लेकर सरकार और रिलायंस के बीच विवाद शुरू हुआ। सरकार का आरोप रहा कि तय योजना की तुलना में कम गैस निकाली गई, जबकि रिलायंस का कहना था कि भूगर्भीय परिस्थितियों और तकनीकी चुनौतियों के कारण उत्पादन घटा। यह मामला लंबे समय से कानूनी और नियामकीय प्रक्रियाओं में उलझा हुआ है।