भावनगर। गुजरात के भावनगर के सरकारी अस्पताल में जब लोग 23 साल के गणेश बरैया को लोगों का इलाज करते देखते हैं, तो दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं। इस हैरानी और अचरज की वाजिब वजह भी है... असल में यहां इलाज कर रहे डॉक्टर साहब की हाइट महज 3 फीट और वजन केवल 18 किलो है। लोगो के लिए भले ही उनका डॉक्टर होना एक आश्चर्य की वजह हो लेकिन उनका यहां तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं था।
MCI ने कर दिया था मिसफिट घोषित
भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) ने 2017 में छोटे कद की वजह से गणेश को एमबीबीएस करने के लिए अयोग्य करार दिया था। इसके पीछे ये तर्क दिया गया था कि छोटे कद के कारण वे इमरजेंसी सेवाएं देने में सक्षम नहीं होंगे। इसके बाद शुरू हुआ गणेश का नया संघर्ष। उन्होंने अपने स्कूल के प्रिंसिपल, कलेक्टर और राज्य के शिक्षा मंत्री से संपर्क किया। इसके बाद गणेश ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय में वे मुकदमा हार गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और सुप्रीम कोर्ट गए। साल 2018 में उन्होंने मुकदमा जीता और आखिरकार 2019 में उन्हें एमबीबीएस में दाखिला मिल ही गया। अब पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भावनगर के सरकारी अस्पताल में काम कर रहे हैं।
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एक साल बाद मिला MBBS में दाखिला
गणेश का जन्म सामान्य परिस्थितियों में हुआ था, लेकिन जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ी, वैसे-वैसे उनका शारीरिक विकास नहीं हुआ। स्कूल की पढाई के दौरान सहपाठी उन्हें बौना होने का ताना देते थे, लेकिन उन्होने ठान रखा था कि वे अपनी शिक्षा के जरिए सबको जवाब देंगे। वे अपने स्कूल के मेधावी छात्र रहे और उन्होंने मेडिकल का एंट्रेस भी पास कर लिया, लेकिन जब काउंसलिंग हुई तो MCI ने उन्हें MBBS कोर्स में दाखिला देने से केवल इस कारण इंकार कर दिया कि उनकी हाइट कम है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए जब MBBS कोर्स में दाखिला देने का आदेश दिया, तब तक एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 2019 में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश देने के आदेश दिए और तब जाकर गणेश को भावनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल सका।
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