Garima Vishwakarma
20 Dec 2025
एंटरटेनमेंट डेस्क। यूट्यूबर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर पायल धरे, जिन्हें लोग पायल गेमिंग के नाम से जानते हैं, इन दिनों एक गंभीर विवाद के चलते चर्चाओं में हैं। सोशल मीडिया पर उनका एक MMS वीडियो वायरल हुआ, जिसे लेकर तरह-तरह की बातें होने लगीं। हालांकि पायल ने शुरुआत से ही साफ कर दिया कि यह वीडियो उनका नहीं है, बल्कि AI तकनीक से बनाया गया एक डीपफेक वीडियो है, जिसका मकसद उन्हें बदनाम करना है।
वीडियो के वायरल होते ही पायल धरे ने चुप रहने के बजाय कानूनी रास्ता चुना। उन्होंने महाराष्ट्र साइबर विभाग में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। पायल का कहना था कि इस फर्जी वीडियो की वजह से उन्हें मानसिक तनाव, परेशानी और उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है। शिकायत मिलने के बाद साइबर विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए FIR दर्ज कर ली है।

शिकायत के बाद महाराष्ट्र साइबर की तकनीकी टीम ने वायरल वीडियो की फॉरेंसिक जांच की। जांच में यह साफ सामने आया कि वीडियो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से बनाया गया है। वीडियो में जानबूझकर छेड़छाड़ की गई है ताकि उसे असली दिखाया जा सके। साइबर विभाग ने पुष्टि की है कि यह पूरी तरह से डीपफेक वीडियो है।
महाराष्ट्र साइबर विभाग ने बताया कि इस मामले में सिर्फ वीडियो बनाने वालों पर ही नहीं, बल्कि उसे सोशल मीडिया पर फैलाने और शेयर करने वालों पर भी कार्रवाई की जा रही है। पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि वीडियो कहां से अपलोड हुआ, किसने इसे तैयार किया और किन-किन अकाउंट्स से इसे वायरल किया गया।
महाराष्ट्र साइबर विभाग ने पायल धरे को एक ऑफिशियल सर्टिफिकेट भी जारी किया है। इस सर्टिफिकेट में साफ तौर पर लिखा गया है कि वायरल वीडियो फर्जी है और डीपफेक तकनीक से बनाया गया है। इसका उद्देश्य भविष्य में वीडियो के दुरुपयोग को रोकना और पायल की छवि को सुरक्षित रखना है।

बता दें कि विवाद बढ़ने के बाद पायल गेमिंग ने खुद सामने आकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि वीडियो में दिख रही महिला वह नहीं हैं और इस कंटेंट से उनका कोई संबंध नहीं है। पायल ने इसे पूरी तरह झूठा और भ्रामक बताया। उन्होंने लोगों से अपील की कि ऐसे फर्जी वीडियो को न देखें और न ही शेयर करें।
डीपफेक वीडियो वे होते हैं, जिन्हें AI तकनीक से तैयार किया जाता है। इसमें किसी व्यक्ति के चेहरे, शरीर या आवाज को दूसरे वीडियो या ऑडियो में फिट कर दिया जाता है। कई बार यह इतना वास्तविक लगता है कि असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। डीपफेक का इस्तेमाल अक्सर भ्रम फैलाने, बदनामी करने और किसी की छवि खराब करने के लिए किया जाता है।
पायल धरे से पहले भी कई बड़े सेलेब्रिटीज डीपफेक का शिकार हो चुके हैं। आलिया भट्ट, काजोल, रश्मिका मंदाना जैसी मशहूर हस्तियों के नाम से भी फर्जी वीडियो वायरल हो चुके हैं। यह दिखाता है कि AI तकनीक का गलत इस्तेमाल कितना खतरनाक हो सकता है।
फिलहाल महाराष्ट्र साइबर की टीम एडवांस साइबर फॉरेंसिक टूल्स और डिजिटल ट्रेल एनालिसिस के जरिए पूरे मामले की गहन जांच कर रही है।