Shivani Gupta
13 Oct 2025
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में गाजा पीस प्लान को समर्थन देने वाले लोगों के विरूद्ध पिछले पांच दिनों से पुलिस फायरिंग की जा रही है। मीडिया खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक ने दावा किया कि फायरिंग में अब तक 250 से ज्यादा लोग और कार्यकर्ता की मौत हुई है। जबकि 1500 लोग बुरी तरह घायल हुए हैं।
पाकिस्तान सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पीस प्लान का समर्थन किया है। इसे लेकर कई पार्टियां नाराज हैं। जहां TLP चीफ साद हुसैन रिजवी विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने सरकार विरोधी, गाजा समर्थक और इजराइल विरोधी अभियान के तहत लाहौर से इस्लामाबाद तक लंबा मार्च निकाला है।
इस मार्च के दौरान रिजवी को भी 3 गोली लगी है। पार्टी के प्रवक्ता के मुताबिक, रिजवी की हालत नाजुक बनी हुई है। उन्हें नजदीक के मेडिकल सेंटर में भर्ती किया गया है जहां उनका इलाज किया जा रहा है।
पाकिस्तान पुलिस ने टीएलपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। जिसमें साहिवाल डिवीजन के तीन जिलों में रातभर छापेमारी की गई, जिसमें कई कार्यकर्ताओं और नेताओं को पुलिस गिरफ्त में अंदर लिया गया। बता दें इन सभी को पकपट्टन, साहिवाल और ओकारा की जेलों में भेजा गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने आंतरिक सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए गृह मंत्री मोहसिन नकवी के साथ हाई लेवल मीटिंग की। वहीं इस मार्च को इस्लामाबाद पहुंचने से रोकने के लिए पंजाब में 1,200 से अधिक अर्धसैनिक बल तैनात किए गए हैं। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सुरक्षा बलों और तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के प्रदर्शनकारियों के बीच सोमवार को हिंसक झड़प में 2 पुलिस अधिकारियों की भी मौत हुई है।
दरअसल इस हिंसक प्रदर्शन की शुरुआत तब हुई, जब गुरुवार देर रात पंजाब पुलिस ने TLP मुख्यालय पर छापा मारकर इसके नेता साद रिजवी को गिरफ्तार करने की कोशिश की थी। हालांकि साद निकल गया, लेकिन उसके बाद पुलिस और साद समर्थकों के बीच काफी देर तक हिंसक झड़पें हुई। पुलिस ने शहर के अंदर और बाहर की सड़कें बंद कर दी थी। दंगों पर नियंत्रण के लिए पुलिस को प्रमुख रास्तों पर तैनात किया गया और सरकारी दफ्तरों सहित विदेशी दूतावासों वाले रेड जोन को पूरी तरह सील किया गया। बता दें TLP की स्थापना 2015 में खादिम हुसैन रिजवी ने की थी। जहां वे पंजाब के धार्मिक विभाग में काम करते थे, लेकिन 2011 में सलमान तासीर की हत्या करने वाले मुमताज कादरी का समर्थन करने पर वे नौकरी से निकाले गए।