Priyanshi Soni
4 Nov 2025
वॉशिंगटन। 22 जून की सुबह अमेरिकी वायुसेना ने ईरान पर एक गोपनीय और तेज एयर स्ट्राइक ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसका नाम रखा गया ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’। इस ऑपरेशन के तहत अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फाहान को 25 मिनट के भीतर निशाना बनाकर भारी तबाही मचाई। अमेरिका ने इस हमले में 7 स्टील्थ B-2 बॉम्बर्स, 125 से अधिक फाइटर जेट्स, बंकर बस्टर बम और टोमाहॉक मिसाइलों का प्रयोग किया।
यूएस जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन जनरल डैन केन के अनुसार, यह ऑपरेशन अत्यधिक गुप्त था और इसमें अमेरिका ने ईरान को चौंका देने वाली रणनीति अपनाई।
उन्होंने बताया कि B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने अमेरिका के मिसौरी एयरबेस से उड़ान भरी और सीधे ईरान के फोर्डो व नतांज ठिकानों पर 30,000 पाउंड के बंकर-बस्टर बम गिराए, जबकि इस्फाहान पर टोमाहॉक क्रूज मिसाइलों से हमला हुआ।
भारतीय समयानुसार सुबह 4:10 बजे हमला शुरू हुआ और 4:35 बजे तक अमेरिकी विमान ईरानी वायुसीमा से बाहर निकल चुके थे।
जनरल डैन केन ने बताया कि यह ऑपरेशन कुल 18 घंटे चला और कम्युनिकेशन का इस्तेमाल लगभग न के बराबर किया गया ताकि ईरान को किसी भी तरह की भनक न लगे। उन्होंने कहा, “यह ऑपरेशन विशेष रूप से ईरान की परमाणु क्षमताओं के बुनियादी ढांचे को निष्क्रिय करने के लिए डिजाइन किया गया था। इसकी योजना बेहद सीमित लोगों को ही पता थी।”
ऑपरेशन के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इस हमले का मकसद ईरान में सत्ता परिवर्तन नहीं है। अमेरिकी रक्षा प्रमुख ने कहा, “हमारा उद्देश्य ईरानी जनता या सैनिकों को नुकसान पहुंचाना नहीं था। हमारा टारगेट केवल परमाणु ठिकाने थे। हम युद्ध नहीं चाहते।”
हमले के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि ईरान ने पिछले 40 वर्षों में अमेरिका के खिलाफ जो भी किया, उसका जवाब अब दिया गया है।
उन्होंने कहा, “अब वक्त आ गया है कि या तो शांति कायम हो या फिर त्रासदी के लिए तैयार रहें। अगर शांति नहीं आई तो हम और भी सटीक और शक्तिशाली हमलों के लिए तैयार हैं।”
ट्रंप ने अपनी सरकार की इस कार्रवाई को साहसिक और शानदार करार देते हुए कहा कि दुनिया को अब अमेरिका की ताकत को पहचानना होगा।
इस ऑपरेशन में अमेरिका ने, 14 बंकर-बस्टर बम (प्रत्येक 30,000 पाउंड वजनी), 24 से अधिक टोमाहॉक क्रूज मिसाइलें, 125 फाइटर जेट्स और 7 B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया।
फोर्डो और नतांज जैसी साइटें जमीन के 200 फीट नीचे स्थित थीं, जिन्हें नष्ट करने के लिए विशेष बमों की जरूरत थी।