Naresh Bhagoria
21 Dec 2025
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21 Dec 2025
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21 Dec 2025
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21 Dec 2025
पुष्पेन्द्र सिंह, भोपाल। चंबल क्षेत्र का सहरिया बहुल आदिवासी बहुल श्योपुर जिला कुपोषण के कलंक के नाम से जाता था। अब इस जिले में पिछले पांच साल से किए जा रहे विकास कार्यों और स्वास्थ्य के प्रति चलाए जा रहे जन जागरुकता अभियान से सुधार की संभावनाएं बढ़ीं हैं। इस जिले में जहां वर्ष 2023 में कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की संख्या 4,470 थी, वहीं अब वर्ष 2025 में घटकर 3,204 हो गई है। जबकि भिंड, मुरैना और ग्वालियर में कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ रही है।
मालवा क्षेत्र में भी उज्जैन संभाग के उज्जैन जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या में तेजी से कमी आई। राज्य सरकार ने ग्वालियर-चंबल और मालवा क्षेत्र के दो दर्जन जिलों पर आधारित जानकारी में बताया है कि कुपोषण से लड़ने के लिए व्यापक अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे अतिकुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आई है।
भारत सरकार द्वारा संचालित पोषण ट्रैकर ऐप के आंकड़ें भी बताते हैं कि पिछले एक साल में बच्चों की कुपोषण स्थिति में सुधार हो रहा है लेकिन कम वजन और दुबलेपन जैसे खतरनाक श्रेणियों में मध्य प्रदेश का देश में अभी भी दूसरा स्थान है।
सक्षम आंगनबाड़ी एवं पोषण 2.0 एवं राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्द्धन कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है। सक्षम आंगनबाड़ी एवं पोषण 2.0 अंतर्गत अतिगंभीर कुपोषित एसएएम बच्चों को अतिरिक्त आहार थर्ड मिल के रूप में राशि 4 रुपए प्रति बच्चा प्रतिदिन प्रदाय किए जाने का प्रावधान है।
(वर्ष 23-24 से 25-26 की स्थिति)
जिला बच्चों की संख्या कुपोषण मुक्त हुए
आगर मालवा 8,852 1,276
देवास 18,696 5,547
मंदसौर 34,403 1,682
नीमच 29,631 1,201
रतलाम 44,502 9,298
शाजापुर 39,764 1,742
उज्जैन 48,627 21,572
(संख्या कुपोषित, कम वजन और छोटे कद के बच्चे शामिल)
स्रोत : विधानसभा में दी गई जानकारी।
कुपोषित बच्चों की संख्या
जिला वर्ष 22-23 24-25
श्योपुर 4,470 3,777
भिंड 822 6,583
मुरैना 8,382 13,981
ग्वालियर 3,505 5,519
अशोकनगर 4,568 4,116
शिवपुरी 3,811 3,602
कुपोषित बच्चों की नियमित मॉनिटरिंग और पूरा पोषण उपलब्ध कराने की निगरानी की जा रही है। जहां कुपोषण कम नहीं हो रहा, वहां जिम्मेदारी तय की जा रही है। श्योपुर सहित अन्य आदिवासी बहुल जिलों में कुपोषण खत्म करने पर पूरा फोकस है। जल्द ही एक और प्रपोजल तैयार किया जाएगा।
निधि निवेदिता, आयुक्त, महिला एवं बाल विकास